“मृत्यु से जीवन ख़त्म होता है रिश्ते नहीं" मिच अल्बम कहते हैं कि मृत्यु से जीवन ख़त्म होता है रिश्ते नहीं। ये ही कारण है कि किसी अपने को खोने पर लोग कई दिनों महीनों और कभी कभी सालों तक उनके जाने के दुःख से उभर नहीं पाते। परन्तु हमे यह हमेशा याद रखना चाहिए की जीवन बहुत ही अप्रत्याशित है और मृत्यु अनिवार्य है। साथ ही मृत्यु आपके परिवार को मानसिक और आर्थिक रूप से प्रभावित करती है यह भी कटु सत्य है।
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इसी कारण सभी कमानेवालों को एक विस्तृत जीवम बीमा लेना चाहिए जिससे उनके जाने के बाद उनके अपने आर्थिक क्षेत्र में व्यथित न हो। वैसे भी अपने जाने के बाद कौन अपने परिवारजनों को परेशान देखना चाहेगा? है ना?
पर आपके जीवन बीमा करा लेने के बाद भी अगर आपके परिवार जन क्लेम लेना न जानते हो और आर्थिक संकटों में उलझे रहें तो? इसलिए जीवन बीमा लेने के साथ साथ अपने परिवारजनों को उस बीमा से जुड़े सभी लाभों के बारे में बताना भी ज़रूरी है। उन्हें क्लेम की पूरी प्रक्रिया तथा उसमे लगने वाले सभी ज़रूरी दस्तावेज़ों के बारे में भी बताना चाहिए। अब आप सोच रहे होंगे की ये सारी जानकारी आपको कहाँ मिलेगी, तो परेशान न हो, हमने आपके लिए यह काम कर दिया है। इस ब्लॉग को पढ़कर आपको वो सारी जानकारी मिल जाएगी जो जीवन बीमा पॉलिसी पर डेथ क्लेम का दावा करने के लिए चाहिए होती है।
पर आपको क्लेम की प्रक्रिया बताने से पहले शुरू से शुरू करते है।
आसान शब्दों में जीवन बीमा एक व्यक्ति और इन्शुरन्स कंपनी के बीच एक सीमाबद्ध संविदा है जिसमें व्यक्ति हर महीने एक तय रकम देने की सहमति देता है और इन्शुरन्स कंपनी उसकी मृत्यु के बाद वही रकम एकमुश्त रुप उसके नॉमिनी को दे देती है। जो तय राशि व्यक्ति हर महीने इन्शुरन्स कंपनी को देता है उसको प्रीमियम कहते है और जो एकमुश्त रूप में पॉलिसी धारक की मृत्यु के बाद उसके नॉमिनी को मिलती है उसे मृत्यु लाभ कहते है।
मोटे तौर पर जीवन बीमा क्लेम दो प्रकार के होते है डेथ क्लेम और परिपक्वता का दावा। इस लेख में हम डेथ क्लेम का दावा करने की प्रक्रिया और उसमें काम आने वाले दस्तावेज़ों के बारे में जानेंगे।
अगर बीमा के अवधि के दौरान अगर बीमाधारक की तो लाभार्थी बीमाकर्ता के पास मृत्यु लाभ का दावा रख सकता है। इसी दावे को जीवन बीमा का दावा या डेथ क्लेम कहा जाता है।
नीचे चरण दर चरण जीवन बीमा क्लेम की प्रक्रिया दी गयी है।
स्टेप 1: सर्वप्रत्यहं इन्शुरन्स कंपनी को पॉलिसी धारक की मृत्यु के बारे में बतायें। इन्शुरन्स कंपनियों द्वारा मृत्यु को दो प्रकारों में बांटा गया है- अर्ली डेथ तथा नॉन अर्ली डेथ। ये दोनों प्रकार पॉलिसी खरीदने के समय पर आधारित है। अगर पॉलिसी ख़रीदीने के तीन महीने बाद ही धारक की मृत्यु हो जाती है, तो उसे अर्ली डेथ कहते है।
स्टेप 2: इन्शुरन्स कंपनी से बात करके क्लेम सूचना का फॉर्म लें।
स्टेप 3: क्लेम को आगे बढ़ने हेतु उपयोगी दस्तावेजों के बारे में जानकारी ले लें। अगर पालिसी ऑनलाइन खरीदी गयी है तो क्लेम फॉर्म भी ऑनलाइन ही भरें।
अब आपको क्लेम का दावा करने की जानकारी हो गयी है, आइए अब डेथ क्लेम को आगे बढ़ने के लिए क्या करना है:
डेथ क्लेम करने के लिए आपको निम्नलिखित दस्तावेज़ों की ज़रुरत होगी:
अगर आप डेथ क्लेम करने की सोच रहे हैं तो पॉलिसीधारक की मृत्यु के बाद ज्यादा समय का इंतज़ार न करें। ध्यान रहे, ऊपर दिए गए सभी दस्तावेज़ होने चाहिए। अपनी इन्शुरन्स कंपनी से लगातार संपर्क में रहें और जीवन बीमा डेथ क्लेम से जुड़े दस्तावेज़ो की सारी जानकारी रखें।
अंत में!
यही आशा है की, इस लेख को पढ़ के आपको जीवन बीमा पर डेथ क्लेम का दावा करने की प्रक्रिया समझ आ गई होगी। हमें आशा है की ये जानकारी आपको जीवन बीमा क्लेम लेने में मदद करेगी।
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