बैंक की फिक्स्ड डिपॉजिट योजना मुनाफा कमाने का सबसे अच्छा तरीका है। फिक्स्ड डिपॉजिट सात दिन से लेकर 10 साल तक की अवधि के लिए किया जा सकता है। फिक्स्ड डिपॉजिट पर बचत खाते के मुकाबले लगभग दोगुना ब्याज मिलता है। इस कारण फिक्स्ड डिपॉजिट छोटी और लंबी, दोनों अवधि के निवेशकों के लिए एक बेहतरीन विकल्प है। बीते कुछ वक्त में निवेशकों के बीच फिक्स्ड डिपॉजिट की लोकप्रियता बढ़ी है। इसका कारण फिक्स्ड डिपॉजिट में पूंजी की सुरक्षा और निश्चित रिटर्न है। हर बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट की सुविधा देता है। इसके अलावा कई गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) भी ग्राहकों को फिक्स्ड डिपॉजिट की सुविधा देती हैं।
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बैंक की तुलना में एनबीएफसी ग्राहकों को फिक्स्ड डिपॉजिट पर ज्यादा ब्याज देती हैं, लेकिन एनबीएफसी में एफडी बैंक की एफडी के अपेक्षाकृत कम सुरक्षित मानी जाती है। बैंक के एफडी को ज्यादा सुरक्षित माना जाता है।
फिक्स्ड डिपॉजिट पर बैंक या एनबीएफसी कंपनियां जो ब्याज देती हैं, वह ग्राहक को मिला वास्तविक रिटर्न होता है। ग्राहक अपनी जरूरत और बैंक द्वारा दिए जा रहे ब्याज का हिसाब लगाकर फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश कर सकते हैं।
साथ ही फिक्स्ड डिपॉजिट पर मिलने वाले ब्याज की निकासी की अवधि भी तय की जा सकती है। फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज हर महीने, तिमाही, छमाही, सालाना या एफडी मैच्योर होने के बाद चाहिए, यह निवेश करते वक्त चुना जा सकता है।
फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश करते वक्त सिर्फ ब्याज दरों के बारे में ही बल्कि तरलता यानी लिक्विडिटी का भी ध्यान रखने की जरूरत है। जिस समय रकम की जरूरत है, उस समय फिक्स्ड डिपॉजिट को निकालने में दिक्कत नहीं हो।
फिक्स्ड डिपॉजिट में ज्यादा से ज्यादा ब्याज कमाने के लिए जरूरी है कि सही वक्त का ध्यान रखा जाए। सही वक्त से मतलब सिर्फ फिक्स्ड डिपॉजिट की अवधि से नहीं है, बल्कि अलग-अलग मैच्योरिटी अवधि में रिटर्न की सही गणना करना है, जिसके जरिए ज्यादा से ज्यादा ब्याज कमाने में कामयाब हो सकते हैं।
फिक्स्ड डिपॉजिट में लंबी अवधि में बेहतर रिटर्न कमाने के लिए एक तरीका अपनाया जा सकता है। फिक्स्ड डिपॉजिट असल में लंबी अवधि के लिए किया जाए तो बेहतर है। असल में बैंक कई तरह के चार्ज लगाकर यह सुनिश्चित करते हैं कि ग्राहक ने जिस अवधि के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट किया है, उस अवधि से पहले रकम की निकासी नहीं करें।
फिक्स्ड डिपॉजिट से ज्यादा रिटर्न कमाने का एक तरीका यह है कि अपने निवेश को कई हिस्से में बांटकर उसे अलग-अलग मैच्योरिटी अवधि के हिसाब से निवेश करें। इस प्रक्रिया को लैडरिंग (laddering) कहते हैं।
लैडरिंग सुविधा का मतलब है कि एक नियमित अंतराल पर फिक्स्ड डिपॉजिट मैच्योर होती रहेगी, और इससे मिलने वाला मुनाफा बढ़ जायेगा।
इसे एक उदाहरण के जरिए समझते हैं। माना कि पांच लाख रुपये फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश करना है। इस पर 9 फीसदी सालाना ब्याज दिया जा रहा है। तब आप एक लाख रुपये का निवेश एक साल के लिए कीजिए। अब बची रकम में से एक लाख रुपये का निवेश दो साल के लिए करें। बची रकम में से एक लाख रुपये के निवेश तीन साल के लिए, फिर एक लाख का निवेश चार साल के लिए और आखिरी बचे एक लाख रुपये का फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश पांच साल के लिए करें।
इस प्रक्रिया का अर्थ यह हुआ है कि आपने पांच लाख रुपये को पांच हिस्से में बांटकर उसे पांच अलग-अवधि के फिक्स्ड डिपॉजिट में जमा किया है।
एक साल बाद जब फिक्स्ड डिपॉजिट मैच्योर होगी, तब आपको कुल 1.09 लाख रुपये की धनराशि वापस मिलेगी। अगर इस धनराशि को फिर से पांच साल के फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश कर दिया जाए तो संभावना है कि इस वक्त बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट पर 10% ब्याज ऑफर करें।
इसी तरह, दूसरी वाली एफडी जो दो साल बाद मैच्योर होने वाली है, उसे अवधि पूरा होने के बाद अगले पांच के लिए फिर से निवेश करें।
इसका फायदा यह है कि अगर ब्याज दर में बढ़ोतरी होती है, तो आपको हमेशा उसका फायदा मिलता रहेगा।
फिक्स्ड डिपॉजिट में अलग-अलग अवधि के लिए अलग धनराशि को निवेश करना (लैडरिंग) के कारण सिर्फ वक्त पर रकम पाने में ही मदद नहीं मिलती है, निवेश के इस तरीके से बाकी सभी चीजें भी नियंत्रण में रहती हैं।
फिक्स्ड डिपॉजिट में लैडरिंग की मदद से नियमित अंतराल पर धनराशि निकालते रहते हैं। इस कंडीशन में जरूरत के वक्त धनराशि वापस मिल जाती है। इसमें फिक्स्ड डिपॉजिट करने पर तय अवधि से पहले अगर धनराशि निकाल ली जाए तो नुकसान हो सकता है।
अगर कोई धनराशि को पांच साल के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट किया है और उसे चार साल में ही निकालना चाहते हैं तो बैंक जुर्माना लगाती है।
लैडरिंग कर हर साल धनराशि का एक हिस्सा निकाल सकते हैं, क्योंकि इसमें इसमें फिक्स्ड डिपॉजिट इसी वक्त के लिए की है।
इसका एक और बड़ा फायदा यह है कि बाजार में उस दौर में उपलब्ध ब्याज दरों का फायदा आसानी से उठा सकेंगे।
अगर लैडर डिपॉजिट किया है तो आपके पास हर साल एक बार धनराशि आपके हाथ में होगी। अगर आप चाहें तो इसे छह महीने या तीन महीने के अंतराल पर भी फिक्स्ड डिपॉजिट कर सकते हैं।
शुरुआत में हो सकता है कि आपको लैडरिंग फिक्स्ड डिपॉजिट का फायदा समझ नहीं आए। लेकिन जब लगातार इसे जारी रखेंगे और हिसाब निकालेंगे तो इसका फायदा दिखाई देगा ।
लैडरिंग फिक्स्ड डिपॉजिट एक अच्छा विकल्प है लेकिन बेहतरीन रिटर्न कमाने के मामले में ये हमेशा बेहतर विकल्प साबित नहीं होता। इस का कारण ब्याज दरों में कमजोरी का माहौल है, अगर ऐसा है तो ब्याज कम मिलने की संभावना होती है।
अगर लैडरिंग फिक्स्ड डिपॉजिट में 10 साल की अवधि के लिहाज से बात की जाए तो लैडरिंग एफडी लिए बेहतर ब्याज कमाने में मददगार साबित हो सकती है।
रिटायर्ड कर्मचारी जिन्हें रोज के खर्च के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट पर निर्भर रहना पड़ता है।
लंबी अवधि के लिए एफडी करने वाले निवेशक जो ब्याज दरों की अनिश्चितता के माहौल से जूझ रहे हैं।
इसमें छोटी अवधि के लिए भी निवेश करना बेहतर है, जो वित्तीय लक्ष्य (छुट्टियों पर जाने, घर खरीदारी के लिए डाउन पेमेंट) के हिसाब से निवेश कर सकते हैं।