ग्रेच्युटी क्या है ?(Gratuity Meaning in hindi)

ग्रेच्युटी को लेकर बीते दिनों से चर्चा हो रही है। ग्रेच्युटी की 5 साल की आवश्यक शर्त को खत्म कर 1 साल करने पर विचार किया जा रहा है यानी कि अब 1 साल काम करने पर भी कर्मचारी को ग्रेच्युटी को मिल सकती है। हाल फ़िलहाल ग्रेच्युटी पाने के लिए एक ही कंपनी में कम से कम 5 साल काम करना जरूरी है। कई ऐसे भी हैं जो नहीं जानते कि ग्रेच्युटी क्या होती है ? इससे क्या फायदा होता है?

Read more
Save Tax
Upto ₹46,800 Under Sec 80C
Best Tax Saving Plans
  • High Returns

    Get Returns as high as 17%*
  • Zero Capital Gains tax

    unlike 10% in Mutual Funds
  • Save upto Rs 46,800

    in Tax under section 80 C
We are rated~
rating
6.7 Crore
Registered Consumers
51
Insurance Partners
3.4 Crore
Policies Sold
Get Instant Tax Receipts
Save upto ₹46,800 in Taxes Under Section 80C
+91
Secure
We don’t spam
View Plans
Please wait. We Are Processing..
Your personal information is secure with us
Plans available only for people of Indian origin By clicking on "View Plans" you agree to our Privacy Policy and Terms of use #For a 55 year on investment of 20Lacs #Discount offered by insurance company
Get Updates on WhatsApp
We are rated~
rating
6.7 Crore
Registered Consumers
51
Insurance Partners
3.4 Crore
Policies Sold

एक ही कंपनी में जब कोई कर्मचारी लंबे वक्त तक काम करता है तो उसे पेंशन और प्रोविडेंट फंड के अलावा ग्रेच्युटी भी दी जाती है। एक तरह से कह सकते हैं कि किसी कर्मचारी को कंपनी की ओर से मिलने वाला रिवार्ड ग्रेच्युटी होता है। ग्रेच्युटी का छोटा हिस्सा कर्मचारी के वेतन से कटता है, लेकिन बड़ा हिस्सा कंपनी की तरफ से दिया जाता है। अगर कोई कर्मचारी कंपनी में कम से कम 5 साल तक काम करता है तो वह ग्रेच्युटी का हकदार होता है। 

पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी एक्ट, 1972

पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी एक्‍ट, 1972 के तहत हर वह संस्‍थान जहाँ दस से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं, वहां कर्मचारी को एक तय अवधि के तहत फायदा मिलता है। अगर कर्मचारी रिटायर हो जाता है या किसी कारणवश नौकरी छोड़ देता है लेकिन अगर वह ग्रेच्‍युटी के नियमों को पूरा करता है तो उसे ग्रेच्‍युटी का लाभ मिलता है। 

साल 1972 में पेमेंट ऑफ़ ग्रेच्युटी कर्मचारियों के हितों की रक्षा करने के मकसद से बनाया गया था। इसमें फैक्ट्री, ऑयल फील्ड्स, फॉरेस्ट एरिया, प्राइवेट कंपनी, माइनिंग क्षेत्र और पोर्ट्स पर काम करने वाली संस्था के कर्मचारियों को शामिल किया गया, जहां 10 या उससे ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं। ग्रेच्युटी और भविष्य निधि दोनों बिल्कुल अलग होते हैं। ग्रेच्युटी में पूरा पैसा कंपनी की तरफ से दिया जाता है, जबकि भविष्य निधि में 12 फीसदी हिस्सा कर्मचारी की तरफ से होता है।

कौन सी संस्था एक्ट के दायरे में आती हैं?

कोई भी फैक्ट्री, कंपनी और संस्था जहां पिछले 12 महीने में किसी भी एक दिन 10 या उससे ज्यादा कर्मचारियों ने काम किया है, तो वह ग्रेच्युटी पेमेंट एक्ट के तहत आएगी। एक बार एक्ट के दायरे में आने पर कंपनी या संस्था को इसके दायरे में ही रहना होगा। अगर कभी कंपनी में कर्मचारियों की संख्या 10 से कम भी हो, तब भी वह कंपनी इस एक्ट के दायरे में ही रहेगी। 

ग्रेच्युटी के नियम(gratuity Rules in Hindi)

  • ग्रेच्युटी एक्ट 1972 के मुताबिक, अगर किसी कंपनी में 10 या उससे ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं तो उस कंपनी के कर्मचारियों को ग्रेच्युटी मिलेगी। लेकिन इसमें एक शर्त है, ग्रेच्युटी तभी मिलेगी, जब कर्मचारी ने कंपनी में कम से कम 5 साल नौकरी की हो। ग्रेच्युटी के लिए और भी कई नियम है। 

  • जब बिना किसी अंतराल के कंपनी में पांच साल नौकरी की है, तभी ग्रेच्युटी मिलेगी। लेकिन अगर नौकरी के 4 साल 7 महीने पूरे हो गए हैं तो भी कर्मचारी ग्रेच्युटी का हकदार होगा। 

  • असल में इसमें नौकरी की अवधि की गणना में महीनों की संख्या को निकटतम वर्ष के हिसाब से माना गया है। 6 महीने तक की अवधि को अतिरिक्त वर्ष के रूप में नहीं माना जाएगा, लेकिन अगर 7 महीने की अवधि पूरी हो गई तो को 1 अतिरिक्त वर्ष के रूप में गिना जाएगा।

  • इसलिए 4 साल 7 महीने की नौकरी को 5 साल की नौकरी के बराबर ही मानी जाएगी।

  • नौकरी में 5 साल तक की निरंतरता जरूरी है। छुटटी, बीमारी या दुर्घटना के कारण हुए गैप को सर्विस ब्रेक के रूप में नहीं गिना जाएगा। इसी तरह हड़ताल, ले-ऑफ़ या लॉक आउट को भी सर्विस ब्रेक नहीं गिना जाएगा।

  • असल में, जिसके लिए कर्मचारी की गलती नहीं होती, वह सर्विस ब्रेक नहीं होता। लेकिन, अगर पढ़ाई या आराम के मकसद से छुट्टियां ली हैं या बिना तनख्वाह की छुट्टी (लीव विदाउट पे) ली है तो इसे सर्विस में ब्रेक माना जाएगा। 

  • ग्रेच्युटी नौकरी छोड़ने पर ही मिल सकती है। अगर नौकरी के 5 साल पूरे हो गए, और उसी कंपनी में नौकरी जारी रखते हुए ग्रेच्युटी मिल जाए, ऐसा नहीं हो सकता है। ग्रेच्युटी कंपनी से अलग होने पर ही मिलेगी। कंपनी से रिटायरमेंट, रिजाइन या नौकरी बदलने पर ग्रेच्युटी के लिए अप्लाई किया जा सकता है।

  • कंपनी चाहे तो निर्धारित किए गए फॉर्मूले से ज्यादा भी ग्रेच्युटी दे सकती है। लेकिन फॉर्मूले से अतिरिक्त जो भी ग्रेच्युटी की रकम होगी, उस पर टैक्स देना होगा। टैक्स स्लैब के हिसाब से उस पर टैक्स चुकाना होगा।

  • ग्रेच्युटी की रकम वैसे तो टैक्स-फ्री होती है लेकिन तब जब निर्धारित फार्मूले के हिसाब से ग्रेच्युटी बनती है। अगर फार्मूला से ज्यादा की रकम हो तो उस पर टैक्स की गणना होगी।

  • ग्रेच्युटी सिर्फ उन कंपनियों को देना जरूरी है, ​जहां 10 या ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं। 10 से कम कर्मचारी वाली कंपनियों को ग्रेच्युटी देना जरूरी नहीं है। कर्मचारियों की गिनती 1 साल यानी 12 महीनों के दौरान कार्यरत रहे कर्मचारियों के औसत के हिसाब से ​की जाएगी।

  • ग्रेच्युटी को कर्मचारी पर कुछ बकाया होने पर भी रोका नहीं जा सकता। कोर्ट भी इसे नहीं रोक सकता है। भले ही उस कर्मचारी के खिलाफ सिविल या क्रिमिनल कोर्ट की ओर से कोई आदेश दिया गया हो।

  • कर्मचारी ने कंपनी का कोई नुकसान किया है तो ग्रेच्युटी जब्त की जा सकती है। ग्रेच्युटी की रकम से नुकसान की भरपाई की जाएगी। बाकी रकम कर्मचारी को दे दी जाएगी। 

  • कर्मचारी की मौत या अपंगता होने पर कम से कम 5 साल तक नौकरी करने वाला नियम जरूरी नहीं होता है। इस स्थिति में ग्रेच्युटी उसके नॉमिनी या कानूनी उत्तराधिकारी को मिलेगी। 

ग्रेच्युटी एक्ट के तहत नहीं है तब

अगर कोई कंपनी ग्रेच्युटी एक्ट के दायरे में नहीं आती, तब भी अगर वह चाहे तो कर्मचारी को ग्रेच्युटी का फायदा दे सकती है। 

कैसे कैलकुलेट होती है रकम(Calculator Gratuity in Hindi)

5 साल नौकरी करने के बाद उसे छोड़ने पर ग्रेच्युटी मिलती है। हर साल की नौकरी के लिए 15 दिन के वेतन के बराबर ग्रेच्युटी दी जाती है। ग्रेच्युटी की रकम को दो तथ्यों पर तय किया जाता है। 

  • आखिरी सैलरी कितनी थी

  • नौकरी के कितने साल पूरे हो चुके हैं ? 

यहां सैलरी से मतलब सिर्फ बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ता का योग यानी Basic+DA  होता है। साथ ही यहां आखिरी सैलरी से मतलब नौकरी के आखिरी 10 महीनों की सैलरी के औसत से है।

अगर किसी ने 9 साल 8 महीने की नौकरी की है तो नौकरी के 10 साल गिने जाएंगे। 6 महीने से कम की अवधि को 0 वर्ष माना जाएगा, लेकिन अगर 7 महीने की नौकरी है तो उसे पूरा 1 साल गिना जाएगा। 

मृत्यु होने पर ग्रेच्युटी का कैलकुलेशन 

निधन होने पर ग्रेच्युटी का भुगतान नौकरी की अवधि के आधार पर किया जाता है, इसमें ज्यादा से ज्यादा 20 लाख रुपए तक की रकम दी जा सकती है। 

नौकरी की अवधि ग्रेच्युटी की रकम
1 साल से कम 2 x बेसिक सैलरी
1 साल से ज्यादा, लेकिन 5 साल से कम 6 x बेसिक सैलरी
5 साल से ज्यादा, लेकिन 11 साल से कम 12 x बेसिक सैलरी
11 साल से ज्यादा, लेकिन 20 साल से कम 20 x बेसिक सैलरी
20 साल से ज्यादा  हर 6 महीने की अतिरिक्त नौकरी के लिए, बेसिक सैलरी का आधा।
लेकिन, कुल रकम 33x बेसिक सैलरी से ज्यादा नहीं हो सकती।

कितने दिन में मिलती है ग्रेच्युटी?

नौकरी छोड़ने के बाद ग्रेच्युटी निकालने के लिए अप्लाई किया जा सकता है। अप्लाई करने की तारीख से 30 दिन के अंदर ही भुगतान कर दिया जाता है। अगर कंपनी ऐसा न करें तो उसे ग्रेच्युटी राशि पर साधारण ब्याज की दर से ब्याज का भुगतान करना होगा। कम्पनी के ऐसा न करने पर उसे पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी एक्ट के उल्लंघन का दोषी माना जाएगा।

*All savings are provided by the insurer as per the IRDAI approved insurance plan.
*Tax benefit is subject to changes in tax laws. Standard T&C Apply
~Source - Google Review Rating available on:- http://bit.ly/3J20bXZ

top
Close
Download the Policybazaar app
to manage all your insurance needs.
INSTALL