पीपीएफ का फुल फॉर्म होता है, पब्लिक प्रोविडेंट फंड। पीपीएफ का हिन्दी में अर्थ है- लोक भविष्य निधि। भारत सरकार ने कंपनियों और संगठनों से बाहर असंगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को सुविधा देने के लिए इसकी स्थापना की थी। जहां पर ईपीएफ, पेंशन जैसी सुविधाएं नहीं होती। इसके जरिए सरकार का मकसद कम आमदनी में भी थोड़ा-थोड़ा करके पैसा बचाना और बड़ी रकम इकट्ठा करना है। अब कोई भी भारतीय नागरिक, यहां तक कि बच्चे या मानसिक रूप से कमजोर व्यक्ति के लिए भी यह अकाउंट खोला जा सकता है।
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पोस्ट ऑफिस या बैंक में सिर्फ 500 रुपए जमा करके पीपीएफ अकाउंट खोला जा सकता है। हर साल कम से कम 500 रुपए और ज्यादा से 1.50 लाख रुपये भी जमा किए जा सकते हैं। इस अकाउंट को 15 साल तक चलाया जा सकता है।
देश का कोई भी नागरिक पीपीएफ अकाउंट खुलवा सकता है। वह बच्चा हो, वयस्क हो या वरिष्ठ नागरिक, महिला हो या पुरुष, सर्विसमैन हो या बिजनेसमैन हो या फिर किसान, कोई भी पीपीएफ अकाउंट खुलवा सकता है।
लेकिन कोई भी व्यक्ति अपने नाम पर सिर्फ एक ही पीपीएफ अकाउंट खुलवा सकता है। अगर पहले से ही कोई पीपीएफ अकाउंट हो तो अपने नाम पर दूसरा अकाउंट नहीं खोल सकते हैं। साथ ही किसी और के साथ जॉइंट अकाउंट भी नहीं खोल सकते हैं। लेकिन, बच्चे के लिए पीपीएफ अकाउंट खुलवाने के लिए अभिभावक के रूप में अकाउंट से जुड़ सकते हैं। अगर कभी आपके नाम पर कभी कोई दूसरा पीपीएफ अकाउंट ओपन मिलता है, तो दूसरा एकाउंट तुरंत इनएक्टिव हो जाएगा। उस अकाउंट में जमा पैसों पर कोई ब्याज भी नहीं मिलता है।
एनआरआई (नॉन रेजिडेंट इंडियन) पीपीएफ अकाउंट नहीं खुलवा सकते। लेकिन भारत का नागरिक रहते हुए पहले से ही पीपीएफ अकाउंट खुलवा लिया था तो उस अकाउंट को 15 साल पूरे होने तक इस्तेमाल कर सकते हैं।
नए नियम के तहत एनआरआई को पीपीएफ अकाउंट के 15 साल पूरा होते ही तुरंत पूरा पैसा निकालना होता है। लेकिन अगर पैसा नहीं निकाला तो आने वाले वक्त में सिर्फ सेविंग अकाउंट के हिसाब से ब्याज मिलेगा। यह भी बता दें कि नए नियम के हिसाब से, हिन्दू अविभाजित परिवार के रूप में अब पीपीएफ अकाउंट नहीं खोला जा सकता है।
पीपीएफ अकाउंट में हर साल कम से कम 500 रुपए जमा करना अनिवार्य है, जबकि एक वित्तीय वर्ष में ज्यादा से ज्यादा 1.5 लाख रुपए जमा किए जा सकते हैं। इस लिमिट में चाहें तो एक ही बार में पूरा पैसा जमा किया जा सकता है या फिर कई हिस्सों में जमा कर सकते हैं।
अगर किसी व्यक्ति ने साल भर में अपने पीपीएफ अकाउंट में न्यूनतम 500 रुपए नहीं जमा किए तो पीपीएफ अकाउंट इनएक्टिव यानी निष्क्रिय हो जाएगा। इसे दोबारा एक्टिव करने के लिए प्रत्येक छूटे हुए सालों के हिसाब से कम से कम 500 सौ रुपए जमा करने होंगे। साथ ही एक साल की देरी के लिए 50 रुपए का जुर्माना अलग से जमा करना होगा। ऐसा करने पर अकाउंट इनएक्टिव होने के बाद भी जमा रकम पर ब्याज मिलता रहेगा।
पीपीएफ अकाउंट में कुछ साल पहले एक नियम लागू था कि एक साल में 12 बार से ज्यादा पैसा जमा नहीं कर सकते थे, साथ ही एक महीने में दो बार से ज्यादा भी पैसा जमा नहीं कर सकते थे। लेकिन सरकार ने साल 2019 में यह पाबंदी हटा दी। नियम के मुताबिक, अब पीपीएफ अकाउंट जितनी बार चाहे पैसा जमा किया जा सकता है, लेकिन इस बात का ध्यान रहें कि हर बार जमा की रकम 50 के गुणांक में होनी चाहिए।
पीपीएफ अकाउंट में 15 साल तक पैसा जमा करना होता है। 15 साल पूरे होने पर पैसा ब्याज के साथ वापस मिल जाता है। इस अवधि के दौरान हर साल पैसा जमा करना जरूरी होता है।
मैच्योरिटी यानी 15 साल की अवधि पूरी होने के बाद चाहे तो अकाउंट की अवधि बढ़ाई जा सकती है। जरूरी नहीं कि 15 साल पूरे हो गए हैं तो आपको पैसा निकालना ही होगा। इसमें सुविधा है कि अपने अकाउंट को अगले 5 साल के लिए आगे बढ़ा सकते हैं। अकाउंट की विस्तार की अवधि खत्म होने पर आने वाले पांच सालों के लिए बढ़ा सकते हैं। ऐसा आप जितनी बार चाहें, करा सकते हैं।
अकाउंट को विस्तार करने की प्रक्रिया को अकाउंट एक्सटेंशन कहा जाता है। अकाउंट एक्सटेंशन के दौरान भी पहले की तरह ब्याज मिलता रहेगा।
पीपीएफ अकाउंट में एक और सुविधा होती है कि बिना पैसे जमा किए भी अकाउंट का विस्तार किया जा सकता है। लेकिन सेक्शन 80 सी के तहत, टैक्स कटौती का फायदा तभी मिल पाएगा, जब अकाउंट में पैसे जमा की शर्त के साथ उसका विस्तार करते हैं।
अकाउंट विस्तार करने के लिए एक और नियम है। यह सुविधा तभी मिल सकती है, जब मैच्योरिटी पूरी होने के बाद एक साल के अंदर फॉर्म एच भरकर जमा कर दें। जितनी बार अवधि बढ़ाना हो, उतनी बार फॉर्म एच भरकर जमा करना होता है।
मई 2021 से पीपीएफ अकाउंट पर 7.1% ब्याज दर लागू है। लेकिन सरकार हर तीन महीने के बाद पीपीएफ अकाउंट सहित सभी छोटी बचत योजनाओं के ब्याज दर की समीक्षा करती है और जरूरत पड़ने पर नई ब्याज दर की घोषणा करती है।
इस अकाउंट पर ब्याज की गणना वित्तीय वर्ष के अंत में होती है। हर साल 31 मार्च को ब्याज की गणना करके अकाउंट में रखे बैलेंस में जोड़ा जाता है। ब्याज की गणना मासिक आधार पर होती है। इसमें देखा जाता है कि किसी महीने की 5 तारीख से लेकर आखिरी तारीख के बीच, अकाउंट में न्यूनतम कितना पैसा जमा था। उसी न्यूनतम पैसे के आधार पर ब्याज की गणना की जाएगी।
इसलिए हर महीने 5 तारीख के पहले पैसा जमा कर दिया जाए तो ब्याज बेहतर मिलता है। उदाहरण के लिए, अगर किसी महीने में 5 तारीख तक पैसा जमा किया तो उस राशि पर ब्याज उसी महीने मिल जाएगा। लेकिन अगर 5 तारीख के बाद पैसे जमा किए तो ब्याज अगले महीने से जुड़ेगा।
पीपीएफ अकाउंट आर्थिक सुरक्षा से जुड़ी योजना है और सरकार इस पर कई तरह के टैक्स से जुड़े फायदे देती हैं।
सेक्शन 80 सी के तहत जितनी भी रकम पीपीएफ अकाउंट में हर साल जमा की जाती है, उतनी रकम टैक्सेबल इनकम (करदायी आमदनी) से घटा दी जाती है। जिससे पीपीएफ के जरिए टैक्स में छूट मिल जाती है। हर साल अधिकतम 1.5 लाख रुपए तक के जमा पर टैक्स में छूट मिल सकता है।
पीपीएफ खाते में जमा हुए पैसे पर हर साल मिलने वाले ब्याज पर सालाना टैक्सेबल इनकम में नहीं जोड़ा जाता है। इसका मतलब है कि पीपीएफ अकाउंट पर मिलने वाला ब्याज टैक्स फ्री होता है। पीपीएफ अकाउंट की मैच्योरिटी पर पैसा निकालने पर उस पैसे पर भी टैक्स नहीं लगता है।
पीपीएफ अकाउंट में जमा धनराशि के आधार पर किसी बैंक से लोन भी लिया जा सकता है। पीपीएफ अकाउंट से लोन लेने के कई फायदे होते हैं।
इस लोन पर ब्याज दर कम होती है। पीपीएफ अकाउंट की ब्याज दर से 1% ज्यादा ब्याज चुकाना पड़ता है।
पीपीएफ अकाउंट के तीन साल पूरे होने के बाद लोन की सुविधा प्राप्त की जा सकती है। इसमें कुछ गिरवी नहीं रखना पड़ता।
पीपीएफ अकाउंट में पिछले वित्तीय वर्ष में जो बैलेंस होता है, उसका 25 फीसदी ही लोन के रूप में लिया जा सकता है।
वैसे तो 15 साल से पहले पीपीएफ अकाउंट को बंद नहीं किया जा सकता है लेकिन इमरजेंसी की स्थिति में इसे बंद किया जा सकता है। नए नए नियमों के मुताबिक कुछ स्थितियों में प्रीमेच्योर विड्रॉल यानी अकाउंट बंद कर पैसे निकाले जा सकते हैं।
अगर अकाउंट होल्डर का निधन हो गया है तो नॉमिनी या कानूनी वारिस अकाउंट बंद करने के लिए आवेदन दे सकता है। इस प्रक्रिया में कोई जुर्माना नहीं देना होता है, इसमें पूरा पैसा, पूरे ब्याज के साथ बिना किसी कटौती के मिल जाता है।
पीपीएफ अकाउंट होल्डर स्वयं को या पति,पत्नी, बच्चे और माता-पिता को कोई गंभीर बीमारी होने पर इलाज के लिए अकाउंट बंद करवा सकता है।
स्वयं की या अपने बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए अकाउंट मैच्योरिटी के पहले बंद किया जा सकता है। इसके लिए देश या विदेश में स्थित संस्था में एडमिशन का प्रमाण और फ़ीस की रसीद भी दिखानी होती है।
पीपीएफ अकाउंट खोलने के लिए निम्न में से कोई भी विकल्प अपना सकते हैं।
देश का सबसे बड़ा सरकारी बैंक एसबीआई, अन्य सरकारी बैंक और प्रमुख प्राइवेट बैंक, पोस्ट ऑफिस।
पीपीएफ अकाउंट खोलने का फॉर्म (Form 1)
पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ
पहचान पत्र जैसे कि पैन कार्ड/ वोटर आईडी / आधार कार्ड
एड्रेस प्रूफ जैसे कि पासपोर्ट/ बिजली बिल/ राशन कार्ड / बैंक पासबुक।