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एसबीआई में निवेशकों के लिए बेहतर योजनाएं हैं। एसबीआई में म्यूचुअल फंड सबसे बड़े पब्लिक सेक्टर के बैंक स्टेट बैंक द्वारा संचालित एक प्रमुख फंड हाउस है। एसबीआई और एसेट मैनेजमेंट कंपनी देशभर के लाखों निवेशकों को इक्विटी, डेट और हाइब्रिड जैसे प्रमुख वर्गों में फंड उपलब्ध करवाने में लगी है। इसमें निवेश करने के लोकप्रिय तरीकों में से एक सिस्टेमेटिक इंवेस्टमेंट प्लान यानी एसआईपी है। निवेशक एसआईपी के जरिए एसबीआई म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं। अगर किसी निवेश के पास कम पैसे हैं तो उसे भी एसआईपी लंबे वक्त के लिए निवेश करते रहने पर फायदा कमाने का मौका देती है।
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सिस्टेमेटिक इंवेस्टमेंट प्लान यानी एसआईपी अपने निवेशकों को म्यूचुअल फंड की ओर से दी गई एक सुविधा है, जो उन्हें फंड में तय समय सीमा के लिए निवेश करने की अनुमति देती है। एसआईपी के जरिए निवेशक न्यूनतम 500 रुपये से भी म्यूचुअल फंड में निवेश करना शुरू कर सकते हैं। हर महीने निवेशक के बैंक अकाउंट से एक तय राशि को चुने गए म्यूचुअल फंड में निवेश किया जाता है। निवेशक को इसके बदले में, नेट एसेट वैल्यू के आधार पर म्यूचुअल फंड यूनिट की एक निश्चित संख्या दी जाती है।
निवेश के प्रति एक अनुशासित नज़रिया लंबी अवधि में बेहतर रिटर्न हासिल करने में मदद करता है। एसआईपी की प्रक्रिया के कारण लगातार निवेश होता रहता है, जिससे एसआईपी चुने गए म्यूचुअल फंड में ऑटोमेटिक निवेश करने के साथ-साथ बाज़ार के रिस्क को भी बैंलेस करती है।
एसआईपी में निश्चित समयसीमा पर एक निश्चित राशि का निवेश किया जाता है। बाज़ार में मंदी आने पर एसआईपी के जरिए समान निवेश कर ज़्यादा फण्ड यूनिट खरीद पाते हैं, इससे बाज़ार में तेज़ी आने पर इन खरीदे गए यूनिट की कीमत बढ़ जाती है।
इसमें इच्छा के मुताबिक एसआईपी शुरू करने और बंद करने की अनुमति होती है। साथ ही एसआईपी को बिना किसी रोक-टोक के शुरू करने के बाद उसकी अवधि की तारीख को भी बदला जा सकता है।
आय और बचत के हिसाब से एसआईपी की राशि घटाई और बढ़ाई जा सकती है। इसमें यह सुविधा है कि अगर अपनी एसआईपी की राशि बढ़ाना चाहते हैं तो इसके लिए नए एसआईपी शुरु करने की जरुरत नहीं है। मौजूदा एसआईपी में बढ़ोतरी कर राशि को बढ़ा सकते हैं।
इसमें कोई निश्चित दर नहीं है। म्युचुअल फंड निवेश सामान्य नियम के अधीन हैं, जितना निवेश करेंगे, उतना ही पैसा वक्त के साथ बढ़ता है। एसबीआई इस तरह की एसआईपी के जरिए म्यूचुअल फंड योजनाओं में निवेश की गई छोटी राशि भी कंपाउंडिंग पावर की सुविधा के कारण काफी ज़्यादा फायदा दे सकती है।
एसआईपी काफी हद तक बैंक रिकरिंग डिपॉज़िट यानी आरडी के समान है। जब एक बार एसबीआई एसआईपी शुरू करते हैं तो बैंक अकाउंट से मासिक, साप्ताहिक या दैनिक निवेश पूंजी ऑटोमेटिक रुप से विशेष तारीख पर कट जाती है। पहले से तय हो चुकी यह राशि एसबीआई म्यूचुअल फंड योजना में निवेश कर दी जाती है।
इसमें इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि इसमें व्यक्तिगत निवेश राशि नहीं बदलेगी, इस बात का ध्यान रखना होगा कि चुने गए फंड की NAV/ मूल्य हर दिन अलग होगा। इस तरह खरीदी गई यूनिट की संख्या भी हर बार अलग होगी।
उदाहरण के तौर पर, एसआईपी के ज़रिए हर महीने 500 रुपए निवेश करते हैं। इसके तहत एसआईपी के जरिए निवेश किया जाता है, तो निवेशक द्वारा चुने हुए एसबीआई म्यूचुअल फंड प्लान का NAV/ मूल्य 50 रुपये होता है। तब आप इस प्लान की 10 यूनिट खरीदते हैं। अगली बार जब एसआईपी भुगतान होता है तो मान लें कि उस म्यूचुअल फण्ड यूनिट का NAV/ मूल्य बढ़कर 60 रुपये हो गया है। ऐसी स्थिति में आप सिर्फ 8.33 यूनिट को खरीदने में सक्षम होंगें।
एसबीआई म्यूचुअल फंड एएमसी इक्विटी, लोन और हाइब्रिड जैसी कई श्रेणियों में कई ओपन-एंडेड म्यूचुअल फंड देता है। एसबीआई म्यूचुअल फंड AMC की उन मुख्य योजनाओं पर विचार करेंगे, जिन्होंने बाज़ार की कई कंडीशन में प्रदर्शन कर मुनाफा दिया है। ये एसआईपी के जरिए निवेश के लिए आदर्श योजनाएं हैं।
यह आज के दौर में सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाली इक्विटी योजनाओं में से एक है। इसे एसबीआई म्यूचुअल फंड एएमसी के जरिए मैनेज किया जाता है। इस फंड ने बीते 5 सालों में 22% से ज़्यादा वार्षिक आय कमाने के साथ, बेहतरीन रिटर्न या मुनाफा देने में अच्छा मुकाम हासिल किया है। फंड ने अपने बेंचमार्क के साथ 1 साल, 3 साल और 5 साल के रिटर्न की कैटेगरी में लगातार बेहतर प्रदर्शन किया है। फंड ने अपनी संपत्ति का लगभग 60% स्मॉल कैप क्षेत्र में और दूसरा हिस्सा 38% मिड कैप क्षेत्र में लगाया है।
मिड और स्मॉल कैप क्षेत्र में ज़्यादा निवेश करने फंड अस्थिर बन जाता है। इसलिए कम रिस्क लेने निवेशकों के लिए यह नहीं है। हालांकि लंबी अवधि के लिए इसमें निवेश करके और एसआईपी के ज़रिए निवेश करके रिस्क को कम कर सकते हैं। एसबीआई स्मॉल कैप फंड ज्यादा रिटर्न की उम्मीद में ज़्यादा रिस्क के लिए तैयार निवेशकों के लिए यह बिल्कुल सही है।
यह बैंकिंग सेक्टर में निवेश करने वाला एक सेक्टोरल इक्विटी फंड है। सामान्यतः ज्यादा रिस्क के कारण सेक्टोरल फंड रिस्की हो सकता है लेकिन एसबीआई ईटीएफ बैंक फंड ने लॉन्च के बाद से बहुत ही असाधारण प्रदर्शन किया है। 1 साल और 3 साल की समय सीमा में इस फंड ने हर साल लगभग 20% रिटर्न दिया है जो अपनी कैटेगरी के अन्य फण्ड के मुकाबले बेहतर है।
इसका एक्सपेंस रेश्यो का फंड असल में कम है। फंड ने अपनी पूँजी का लगभग 92% बड़े कैप कंपनियों में निवेश किया है जो बाज़ार में अगर उतार-चढ़ाव हो तो उस दौरान भी मज़बूत रहता है।
मल्टी कैप फंड, लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियों में निवेश करते हैं। मल्टी कैप फण्ड लार्ज कैप कंपनियों में निवेश कर कम रिस्क के साथ स्थिर, जबकि स्मॉल कैप कंपनियों में निवेश कर ज़्यादा रिटर्न कमाते हैं। एसबीआई मैग्नम मल्टी–कैप ने पिछले 5 सालों के अपने बेंचमार्क रिटर्न (10.75%) को बड़े अंतर से पीछे छोड़ते हुए 15.27% सालाना रिटर्न दिया है। साथ ही फंड ने अपनी संपत्ति का लगभग 62% लार्ज कैप स्टॉक में, 26% मिड कैप में और दूसरा 12% स्माल कैप क्षेत्र में निवेश किया है।
यह उन निवेशकों के लिए हैं, जो कम रिस्क पर मध्यम रिटर्न प्राप्त करना चाहते हैं। हालांकि ये फंड रिटर्न के लिहाज से फिक्स्ड रिटर्न के निवेश विकल्प से बेहतर हैं। इस फंड ने बीते साल में 11% से ज्यादा रिटर्न और 3 साल और 5 साल की अवधि में 9% से ज्यादा रिटर्न दिया है। बता दें कि ये फंड एक निवेशकों के लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है।
यह एसबीआई की एक डेट ओरिएंटेड हाइब्रिड फंड है, जिसमें डेट और इक्विटी दोनों में निवेश करने की अनुमति है। यह विशेष रूप से डेट और शेयर बाज़ार निवेश करने पर केंद्रित है। इस फंडने अपनी पूँजी का 25% AAA कैटेगरी वाले विकल्पों और लगभग 8% सरकारी सिक्योरिटीज़ में निवेश किया है। इसमें रिस्क है लेकिन ज्यादा रिटर्न देता है।
इसने 5 सालों की अवधि में सालाना 12.30 रिटर्न दिया है। ये फण्ड उन निवेशकों के लिए अच्छा है जो रिस्क ना लेकर लम्बी अवधि के लिए निवेश कर सकते हैं ।
Past 5 Year annualised returns as on 01-09-2024
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*All savings are provided by the insurer as per the IRDAI approved insurance plan.
Tax benefit is subject to changes in tax laws. Standard T&C Apply
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#The lumpsum benefit is calculated if policyholder invested ₹10000 monthly for 10 years in the fund with a policy term of 20 years. This Point To Point past performance data of last 10 years has been used to illustrate a scenario for the customers benefit. It is assumed that the past 10 years returns would have also been delivered in last 20 years. This is not guaranteed and not in anyway indicative of what the customer may actually get 20 years from now. The investment is subject to market risk and the risk is borne by the policyholder.
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