जीवन बीमा बीमा कंपनी और बीमित के बीच एक संविदा है जिसमें बीमा कंपनी एक निश्चित समय के बाद या पॉलिसी धारक की मृत्यु के बाद प्रीमियम के बदले में एक मुश्त रकम देती है।
एक जीवन बीमा योजना बीमित व्यक्ति और बीमा कंपनी के बीच एक संविदा है जिसमें बीमा कंपनी लाभार्थी को किसी अनहोनी होने पर या बीमित व्यक्ति की बीमा प्लान की अवधि में मृत्यु होने पर एक निश्चित रुक्म देती है। इसके बदले में पॉलिसी धारक एक तय रकम एकसाथ या एक एक करके प्रीमियम के रूप में देने का वादा करता है।
अगर पॉलिसी में निहित हो तो विकट बीमारी का कवर भी दिया जाता है।
क्योंकि यह एक विस्तृत कवरेज देता है तो स्वाभाविक रूप से ही प्रीमियम ज्यादा होगा।
नीचे भारत के सर्वश्रेष्ठ बीमा प्लान दिए गए हैं।
बीमा प्लान |
एंट्री उम्र (न्यूनतम और अधिकतम) |
पॉलिसी अवधि (न्यूनतम और अधिकतम) |
बीमा धन |
आदित्य बिड़ला सन लाइ फ शील्ड प्लान |
18-65 वर्ष |
10,20/30 वर्ष |
25 लाख – कोई ऊपरी सीमा नहीं है |
एगॉन लाइफ आईटर्म प्लान |
18-75 वर्ष |
5/40वर्ष |
10लाख - कोई ऊपरी सीमा नहीं है |
अवीवा लाइफ शील्ड एडवांटेज प्लान |
18-55 वर्ष |
10/30 वर्ष |
विकल्प अ -35 लाख - कोई ऊपरी सीमा नहीं है विकल्प ब - 50 लाख- कोई ऊपरी सीमा नहीं है |
बजाज एलियांज आई सिक्योर |
18-70 वर्ष |
10/30 वर्ष |
20लाख -कोई ऊपरी सीमा नहीं है |
भारती अक्सा लाइफ प्रीमियम प्रोटेक्ट प्लान |
18-65 वर्ष |
10,15/35 वर्ष |
25लाख - कोई ऊपरी सीमा नहीं है |
कनारा एचएसबीसी आईसेलेक्ट प्लस टर्म प्लान |
18-65 वर्ष |
10/30वर्ष |
25लाख - कोई ऊपरी सीमा नहीं है |
एडलवाइस टोक्यो लाइफ सिम्पली प्रोटेक्ट प्लान |
18-65वर्ष |
10/40 वर्ष |
25लाख - कोई ऊपरी सीमा नहीं है |
एक्साइड लाइफ स्मार्ट टर्म प्लान |
18-65,60 वर्ष |
10,12/30 वर्ष |
5लाख, 10लाख / लागू नहीं |
फ्यूचर जेनेरली फ्लेक्सी ऑनलाइन टर्म प्लान |
18-55 वर्ष |
10/75वर्ष |
50लाख - कोई ऊपरी सीमा नहीं है |
एचडीएफसी लाइफ क्लिक 2 प्रोटेक्ट प्लस |
18-65 वर्ष |
10/30- वर्ष |
10लाख -10करोड़ |
एचडीएफसी लाइफ संचय |
30-45 वर्ष |
15/25 वर्ष |
105673-कोई ऊपरी सीमा नहीं है |
आईसीआईसीआई प्रु आइप्रोटेक्ट |
20-75 वर्ष |
10/30 वर्ष |
3लाख -कोई ऊपरी सीमा नहीं है |
आईडीबीआई फ़ेडरल इनकम प्रोटेक्ट प्लान |
25-60 वर्ष |
10/30 वर्ष |
लागू नहीं |
इंडिया फर्स्ट लाइफ प्लान |
18-60 वर्ष |
5/40 वर्ष |
1लाख -5करोड़ |
कोटक लाइफ प्रिफर्ड इटर्म प्लान |
18-75 वर्ष |
10/40 वर्ष |
25 लाख -कोई ऊपरी सीमा नहीं है |
एलआईसी जीवन अमर |
18-65 वर्ष |
10/40 वर्ष |
25 लाख -कोई ऊपरी सीमा नहीं है |
एलआईसी टेक टर्म |
18-65 वर्ष |
10/50 वर्ष |
50 लाख -कोई ऊपरी सीमा नहीं है |
मैक्स लाइफ स्मार्ट टर्म प्लान |
18-60 वर्ष |
10/50 वर्ष |
25लाख -100करोड़ |
पीएनबी मेटलाइफ मेरा टर्म प्लान |
18-65 वर्ष |
10/40 वर्ष |
10लाख -कोई ऊपरी सीमा नहीं है |
प्रामेरिका लाइफ- यू प्रोटेक्ट |
18-55 वर्ष |
10/30 वर्ष |
25लाख -कोई ऊपरी सीमा नहीं है |
रिलायंस निप्पन लाइफ प्रोटेक्ट प्लस |
18-60 वर्ष |
10/40 वर्ष |
25लाख -कोई ऊपरी सीमा नहीं है |
एसबीआइ इशील्ड प्लान |
18-70 वर्ष |
5/30 वर्ष |
20लाख -कोई ऊपरी सीमा नहीं है |
एसबीआइ शुभ निवेश |
18-60 वर्ष |
5/30 वर्ष |
75000- कोई ऊपरी सीमा नहीं है |
सहारा श्रेष्ठ निवेश जीवन बीमा |
9-60 वर्ष |
5/10 वर्ष |
30000-1 लाख |
श्रीराम लाइफ केशबैक टर्म प्लान |
12-50 वर्ष |
10,15,20,25 वर्ष |
2लाख -20लाख |
एसयूडी लाइफ अभय |
18-65 वर्ष |
15,20/40 वर्ष |
5000000/- |
टाटा एआईए जीवन बीमा सम्पूर्ण रक्षा प्लस |
18-70,65 वर्ष |
10,15/40 वर्ष |
50लाख -कोई ऊपरी सीमा नहीं है |
डिस्क्लेमर: “पॉलिसी बाजार किसी भी बीमा कंपनी, किसी भी प्लान का समर्थन,सिरफारिश और मूल्यांकन नहीं करता।"
जीवन बीमा को समझने के लिए प्लान में इस्तेमाल होने वाले शब्दों को जानना बहुत ज़रूरी है।
आइये हम आपको कुछ ज़रूरी शब्दों को समझने में मदद करें और उनके बारे में संक्षेप में बताएं:
जो व्यक्ति बीमा खरीदता है और प्रीमियम भरता है उसे बीमा धारक कहते हैं। कोई व्यक्ति बीमा का मालिक हो सकता है पर ज़रूरी नहीं उसका जीवन बीमित हो।
जिस वव्यक्ति का जीवन सुरक्षित किया जाता है उसे लाइफ अश्योरड कहते हैं। लाइफ अश्योर्ड की मृत्यु होने पर लाभार्थी को बीमा धन मिलता है। उदाहरण के लिए एक पति अपनी बीवी के लिए जीवन बीमा लेता है तो वह बीमा धारक है और उसकी पत्नी लाइफ अश्योर्ड।
नॉमिनी पॉलिसी धारक के द्वारा नामांकित किए गए व्यक्ति को नॉमिनी कहते हैं। किसी भी अनहोनी होने पर जीवन बीमा के पेआउट नॉमिनी को ही मिलते हैं। नॉमिनी को लाभार्थी भी कहा जाता है। पॉलिसी खरीदते समय ही नॉमिनी कौन है यह बता दिया जाता है। अधिकतर मामलों में बीमा धारक के परिवारजन जैसे उसका जीवन साथी उनके बच्चे या उनके माता-पिता ही नॉमिनी की तरह बताए जाते हैं जो उन पर वित्तीय रूप से आश्रित होते हैं।
जितनी अवधि के लिए जीवन बीमा कवरेज देता है उसको पॉलिसी अवधि या पॉलिसी टर्म भी कहते हैं। आपके जीवन बीमा के प्रकार पर, बीमा कंपनी के नियम और शर्तों पर पॉलिसी अवधि निर्धारित होती है।
जीवन बीमा प्लान को जारी रखने के लिए दिया जाने वाला भुगतान प्रीमियम कहलाता है। अगर आप तय तारीख पर प्रीमियम नहीं दे पाते या ग्रेस पीरियड के बाद भी प्रीमियम का भगतां नहीं करते, तो आपकी पॉलिसी समाप्त हो जाएगी। जीवन बीमा प्रीमियम पॉलिसी अवधि, बीमित व्यक्ति की उम्र,जीवनशैली, आदतों आदि पर आधारित होता है।
यह वह रकम होती है जो लाभार्थी या नॉमिनी को बीमित व्यक्ति के मृत्यु के बाद मिलती है। अधिकतर समय बीमा धन का चुनाव बीमित व्यक्ति की मृत्यु पर होने वाले वित्तीय नुकसान को ध्यान में रखकर किया जाता है। जीवन बीमा प्लान खरीदते समय पॉलिसी धारक बीमा धन का चुनाव करता है जो नॉमिनी को बीमित व्यक्ति की मृत्यु की पॉलिसी अवधि में मृत्यु होने के बाद मिलता है।
पॉलिसी धारक की पॉलिसी अवधि के दौरान मृत्यु होने पर लाभार्थी को मिलने वाले भुगतान को मृत्यु लाभ कहते हैं। बीमा धन और मृत्यु लाभ अलग अलग होते हैं। मृत्यु लाभ बीमा धन के बराबर या उससे अधिक हो सकता है क्योंकि उसमें राइडर लाभ भी होता है।
पॉलिसी अवधि समाप्त होने के बाद जो रात में पॉलिसी धारक को दी जाती है उसे मेच्योरिटी बेनिफिट कहते हैं।
ग्रेस पीरियड खत्म होने के बाद भी अगर प्रीमियम नहीं भरा जाता तो वह पॉलिसी समाप्त हो जाती है और उसे लैप्सेड पॉलिसी कहते हैं। अगर पॉलिसी धारक द्वारा सारे प्रीमियम भर दिए जाएं तोबहुत से बीमा कंपनियां लाभ पॉलिसी को फिर से जीवंत करने की सुविधा भी देती है।
प्रीमियम चुकाने के समय को आगे बढ़ाते हुए बीमा कंपनी द्वारा दिया गया अतिरिक्त समय ग्रेस पीरियड होता है। पॉलिसी धारक द्वारा प्रीमियम दिए जाने के बाद प्लान का कवर जारी रहता है।
अगर ग्रेस पीरियड के समय प्रीमियम नहीं भरा जाता तो पॉलिसी समाप्त हो जाती है। अगर आप फिर से अपना प्लान शुरू करना चाहते हैं तो आपको एक निश्चित समय तक इंतजार करने के बाद ही अपना प्लान शुरू करने का मौका मिलता है इसलिए रिवाइवल पीरियड कहते हैं।
अगर आप पॉलिसी के नियम और शर्तों से संतुष्ट नहीं है तो एक निश्चित समय के बाद पॉलिसी दस्तावेजों के अनुसार पॉलिसी वापस करी जा सकती है। इसे फ्री लुकआउट कहते हैं। इसमें मेडिकल एग्जामिनेशन, प्रोपोर्शनेट रिस्क प्रीमियम और प्रीमियम धन वापस कर दिया जाता है और स्टांप ड्यूटी चार्ज काट लिया जाता है।
अपने जीवन बीमा के प्लान के विस्तार को बनाने के लिए राइडर अतिरिक्त लाभ होते हैं। यह राइडर लाभ ऐच्छिक होते हैं और परिवार को किसी भी अनहोनी से बचाने के लिए यह एक वित्तीय सुरक्षा होती है जो कि अतिरिक्त प्रीमियम दे कर ली जा सकती है।
अगर पॉलिसी अवधि के दौरान बीमित व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो नॉमिनी मृत्यु लाभ लेने के लिए क्लेम भरता है। इसे क्लेम प्रक्रिया कहते है।
एक जीवन बीमा प्लान में बहुत सी परिस्थितियां कवर नहीं होती है। अगर इन परिस्थितियों में कोई क्लेम किया जाता है तो उसका बीमा कंपनी द्वारा कोई लाभ नहीं दिया जाता।
जीवन बीमा पॉलिसी अपंगता, मृत्यु, दुर्घटना, सेवानिवृत्ति जैसी परिस्थितियों के लिए वित्तीय कवर के रूप में एक बहुत ही जरूरी चीज है। हमारी जिंदगी में कई जोखिम है और दुर्घटना के प्राकृतिक कारणों से हमें कोई अपंगता भी हो सकती है .जब किसी व्यक्ति को कोई नुकसान होता है या उसे आंशिक या पूर्ण स्थाई अपंगता हो जाती है जीसे आय पर बहुत असर पड़ता है अगर वह व्यक्ति अकेला कमाने वाला हो तो परिवार पर बहुत ज्यादा फर्क पड़ता है।
ऐसे तो किसी व्यक्ति की जीवन की कीमत नहीं लगाई जा सकती; हालांकि फिर भी उसके आय के ना होने से होने वाले नुकसान और को एक रकम से निर्धारित किया जा सकता है। तो जीवन बीमा में एक बीमा धन होता है जो नुकसान होने पर लाभार्थी को मिलता है। जीवन बीमा में बीमित व्यक्ति की पॉलिसी अवधि के दौरान मृत्यु होने पर,कोई अपंगता होने पर या कोई दुर्घटना का शिकार होने पर एक निश्चित रकम दी जाती है।
नीचे कुछ ऐसे कारण दिए गए हैं जो यह प्रतिलक्षित करते हैं कि जीवन बीमा खरीदना कितना जरूरी है:
इसलिए जीवन बीमा प्लान उनके लिए बहुत जरूरी है जो अपने परिवार का सहारा है और अपने परिवार में अकेले कमाने वाले हैं। जीवन बीमा का कवरेज बहुत से कार्य को पर निर्धारित होता है जैसे कितने आश्रित हैं, निवेश की जरूरत है आदि। क्योंकि हमारी जिंदगी अनिश्चितता से गिरी है तो जीवन बीमा पॉलिसी होने से हमें वित्तीय सहारा और चिंता से मुक्ति मिलती है।
अभी तक हमने समझा है कि जीवन बीमा प्लान जरूरी है। आइए अब समझते हैं कि हमें कितना जीवन बीमा चाहिए?
बाजार में बहुत से जीवन बीमा है जैसे टर्म प्लान, एंडोमेंट प्लान, मनी बैक प्लान, और यूएलआईपी। इससे टैक्सी भी बचत होती है और लोग 25 लाख,एक करोड़ और इससे भी ज्यादा रकम का बीमा कराते हैं। हालांकि कोई भी रकम का बीमा कराना जीवन बीमा लेने का सही तरीका नहीं है।
जीवन बीमा लेने का सही तरीका व्यक्ति की उम्र उसके ऊपर आश्रित लोग उसकी देनदारी आदि पर निर्धारित होता है। मान लीजिए एक 18 से 24 वर्ष का व्यक्ति है, जो अकेला है और उसकी शादी भी नहीं हुई है| इसका मतलब यह है कि उस पर ज्यादा जिम्मेदारियां नहीं है। उसकी वित्तीय जिम्मेदारी सिर्फ इतनी हो सकती है कि या तो उसके ऊपर कोई लोन हो या उसके माता-पिता उस पर आश्रित हो। ऐसी परिस्थिति में एक छोटा बीमा प्लान लेना चाहिए। अगर उस व्यक्ति की आय अच्छी है तो उसे एक बड़ा कवर लेना चाहिए जिससे उसकी शादी होने के बाद और जिम्मेदारियां बढ़ने विस्तृत कवर मिलेगा।
अगर कोई व्यक्ति 24 से 33 वर्ष के बीच का है तो वह शादीशुदा होगा और उसे अपने जीवन साथी को भी कवर कराना होगा। ऐसे व्यक्ति को बिना देर किए जल्दी से प्लान लेना चाहिए। जीवन की अलग-अलग उम्र के पड़ाव पर जीवन बीमा कवर भी अलग अलग होगा।
जीवन बीमा कवर ऐसा होना चाहिए कि वह आपकी अभी की सारी देनदारियों को कवर करें और आपके जीवन साथी आपके बच्चों के खर्च जैसे शिक्षा शादी आदि को भी कवर करें। जब आप अपना कवर चुनते हैं तो यह ध्यान रखें कि आपके परिवार का वार्षिक खर्च कितना है और आप की देनदारियों कितनी है। अब उस खर्च को जितने साल के लिए आप अपने परिवार को सहारा देना चाहते हैं उसे गुणा कर दे।
जीवन बीमा का कवर इतना होना चाहिए कि किसी भी समय आपके परिवार के आज और कल का ध्यान रख सके।
जीवन बीमा प्लान लेने के फायदे से पॉलिसी धारक की परिवार को मुश्किल के समय में सुरक्षा देना ही नहीं है। हालांकि यह जरूरी है कि परिवार में कमाने वाला अपने आश्रितों के लिए अनहोनी और दुर्घटना या कोई शारीरिक अपंगता से होने वाले नुकसान से सुरक्षा करें। इसके अतिरिक्त भी ऐसे बहुत से कारण हैं जो जीवन बीमा को बहुत जरूरी बना देते हैं।
यह बहुत दुख की बात है कि आज भी बहुत सारे लोगों को जीवन बीमा के लाभ के बारे में पता नहीं है। उन्हें सिर्फ मृत्यु और अपंग तालाब से ही लेना देना होता है। हालांकि जीवन बीमा केऐसे बहुत से फायदे हैं जैसे मेच्योरिटी बेनिफिट टैक्स लाभ आदि।
नीचे जीवन बीमा द्वारा दिए गए कुछ लाभ की एक लिस्ट है:
आज तक लोगों को यह पता नहीं है कि जीवन बीमा पॉलिसी को लोन के लिए संपार्श्विक के रूप में भी लिया जा सकता है। जीवन बीमा के प्रकार और सरेंडर वैल्यू के आधार पर पॉलिसी धारक किसी बैंक या नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनी(एनबीएफसी) से नियम और शर्तों के अनुसार लोन ले सकता है। लोन की रकम: लोन की रकम स्वाभाविक तौर पर जीवन बीमा पॉलिसी की सरेंडर वैल्यू का कुछ प्रतिशत होती है और यह 90% तक हो सकती है। बहुत सी कंपनियां ऐसी भी है जो पॉलिसी धारक द्वारा दिए गए प्रीमियम का 50% तक लोन देती है।
बहुत से लोग ऑनलाइन भुगतान छूट से भी अनभिज्ञ हैं। भुगतान करने का तरीका जीवन बीमा के प्रीमियम को प्रभावित करता है। यह एक तथ्य है कि प्रीमियम ऑनलाइन भरने से बीमा कंपनी के प्रशासनिक खर्च कम हो जाते हैं।
यह इसलिए है क्योंकि इसमें कोई कागजी कार्रवाई की जरूरत नहीं पड़ती। इससे ऑफलाइन पॉलिसी खरीदते समय और रिन्यू करते समयएजेंट को दिए जाने वाले कमीशन पर भी आप बचत कर सकते हैं।
कृपया ध्यान दें- यह छूट कंपनी दर कंपनी अलग-अलग हो सकती है।
लगभग सभी बीमा कंपनियां अपने पॉलिसी धारक को वार्षिक, अर्द्धवार्षिक, त्रैमासिक या मासिक रूप में भुगतान करने का मौका देती हैं।
अगर पॉलिसी धारक प्रीमियम भरने की वार्षिक आवर्ती को चुनता है तो कंपनियों से निवेश के लिए इस्तेमाल कर सकती है और इससे कंपनी को अत्यधिक लाभ होता है। अगर एक बार पॉलिसी धारक भुगतान की आवृत्ति चुन ले तो उसका उसकी छूट बीमा कंपनी प्रीमियम में ही जोड़ देती है।
बहुत सी बीमा कंपनी ऐसे पॉलिसी धारकों के लिए भी विकल्प देती है जिनका खुद का व्यवसाय हो। पॉलिसी धारक की मृत्यु होने पर उनके व्यवसाय पार्टनर पॉलिसी धारक के शेयर आसानी से खरीद सकते हैं। ऐसी परिस्थिति में व्यवसाय पार्टनर को बीमा कंपनी के साथ एक संविदा संविदा करनी होगी जिसके बाद पॉलिसी धारक के शेयर बेचकर उससे मिला पैसा उनके आश्रितों को दे दिया जाएगा।
हालांकि यह समझना जरूरी है कि नॉमिनी और लाभार्थी को कंपनी में कोई शेयर नहीं मिलेगा।
किसी जीवन बीमा पॉलिसी का प्रीमियम देने पर पॉलिसी धारक को इनकम टैक्स अधिनियम 1961 की धारा 80 सी के तहत टैक्स लाभ मिलता है। अपने जीवनसाथी बच्चों या अपने आश्रितों का प्रीमियम भरने पर भी यह लाभ मिलता है।
यह लाभ सभी जीवन बीमा कंपनियों द्वारा दिया जाता है भले ही वह पब्लिक हो या प्राइवेट।इसके अतिरिक्त पॉलिसी का मच्योरिटी बेनिफिट इनकम टैक्स अधिनियम 1961 धारा 10डी के लिए योग्य है।
जीवन बीमा प्लान |
कवरेज |
टर्म प्लान |
प्योर रिस्क कवर |
यूएलआईपी |
बीमा और निवेश लाभ |
एंडोमेंट प्लान |
बीमा कवर और बचत |
मनी बैक प्लान |
बीमा और पीरियोडिक रिटर्न |
संपूर्ण जीवन बीमा प्लान |
जीवन कवरेज |
चाइल्ड प्लान |
बच्चे की शादी, शिक्षा आदि के लिए कवर |
सेवानिवृत्ति प्लान |
सेवानिवृत्त होने के बाद वित्तीय सहारे के लिए |
नीचे इन प्लान की विस्तृत जानकारी दी गई है:
टर्म इंश्योरेंस सबसे मूल लाइव कवरेज प्लान है यह सस्ता प्लान है जिसे आसानी से खरीदा जा सकता है।
आसान शब्दों में टर्म प्लान एक निश्चित समय के लिए मृत्यु कवर देता है। पॉलिसी धारक की पॉलिसी अवधि के दौरान अचानक मृत्यु होने पर बीमा कंपनी पूर्व में निश्चित रकम एकमुश्त मासिक या वार्षिक रूप में लाभार्थी को देती है। एक अच्छा टर्म प्लान अच्छे प्रीमियम में विस्तृत कवरेज देता है।
यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान या यूएलआईपी एक तरह का जीवन कवरेज प्लान है जो निवेश और बीमा का समूह है। इसमें आजीवन निवेश और वैल्युएबल निवेश का मौका मिलता है।
यूएलआईपी के लिए दिया गया प्रीमियम जीवन कवरेज प्लान के लिए रिस्क कवर के रूप में इस्तेमाल किया जाता है और बकाया राशि डेट, इक्विटी, बॉन्ड, मार्केट फंड, हाइब्रिड फंड आदि में निवेश कर दी जाती है। मार्केट फंड का चुनाव पूरी तरह से बीमा धारक पर निर्धारित होता है इसके आधार पर बीमा कंपनी कैपिटल मार्केट में निवेश करती है।
एंडोमेंट प्लान को ट्रेडिशनल लाइफ इंश्योरेंस प्लान भी कहा जाता है। यह बचत के साथ आते हैं। इसमें निवेश की तुलना में रिस्क कम होता है इसलिए इसका रिटर्न भी कम होता है।
एक एंडोवमेंट पॉलिसी जीवन कवरेज और बचत का समूह है। इसकी कुछ रकम लाइव कवरेज पर निवेश की जाती है और बची हुई रकम को बीमा कंपनी द्वारा निवेश कर दिया जाता है। अगर पॉलिसी धारक पॉलिसी अवधि के बाद भी जीवित रहे तो बीमा धारक उसे मेच्योरिटी बेनिफिट देती है। इसके साथ कहीं बीमा एंडोमेंट पॉलिसी कुछ निश्चित समय पर बोनस भी देती है। अगर आप इस के योग्य है तो पॉलिसी धारक को पॉलिसी मेच्योरिटी के समय या मृत्यु होने पर नॉमिनी को क्लेम लेते समय बोनस मिलता है।
इसके नाम के अनुसार इसमें लाइव कवरेज के साथ कुछ धन वापस मिल जाता है। यह पॉलिसी धारक को पूर्व पहले ही निश्चित हुए समय पर मिलता है। इस लाभ को सर्वाइवल बेनिफिट भी कहते हैं।
मनी बैक पॉलिसी उन लोगों के लिए सबसे बेहतरीन है जो लिक्विडिटी के साथ निवेश चाहते हैं। साथ ही इन प्लान में बीमा कंपनी द्वारा बोनस भी दिया जाता है (अगर कोई)।
इस होल लाइफ इंश्योरेंस प्लान में व्यक्ति के जीवित रहने तक कवरेज देता है ऐसे बहुत से बीमा कंपनियां है जो 100 वर्ष की उम्र तक कवरेज देती है। कवरेज की तुलना में यह ज्यादा विस्तृत कवरेज देता है।
इसका भी बीमाधन पॉलिसी खरीदते समय जोड़ लिया जाता है और बीमा धारक की मृत्यु के बाद लाभार्थी को मिलता है। बीमाधन के साथ अगर कोई बोनस हो तो वह भी लाभार्थी को मिलता है। यह एक बेहतरीन जीवन बीमा प्लान है जो कम प्रीमियम में आजीवन कवरेज देता है।
बाजार में ऐसे बहुत से प्लान मौजूद हैं जो बीमा प्लान और यूएसआईपी को एकत्रित करते हैं। एक फूल लाइफ यू एल आई पि विस्तृत कवरेज और बढ़िया रिटर्न देता है।
ध्यान रखें- अगर पॉलिसी धारक की उम्र 100 वर्ष से अधिक हो जाती है तो बीमा कंपनी को पॉलिसी धारक को मैच्योर एंडोमेंट कवरेज का लाभ देना पड़ता है।
चाइल्ड प्लान एक ऐसा उपकरण है जिससे पॉलिसी धारक अपने बच्चे के लिए रकम इकट्ठा कर सकता है। एक चाइल्ड प्लान में आप अपने बच्चे की शिक्षा और शादी के लिए पैसा जोड़ सकते हैं। अधिकतर प्लान में लाभ या तो वार्षिक रूप में मिलते हैं या बच्चे के 18 वर्ष के होने पर एक बार में ही मिल जाते हैं।
कोई अनहोनी होने पर या पॉलिसी धारक की पॉलिसी अवधि के दौरान मृत्यु होने पर बीमा धारक द्वारा प्रीमियम दिया जाता है। ऐसी परिस्थिति में कई बीमा कंपनियां आने वाले प्रीमियम पर छूट दे देती है और प्लान पॉलिसी अवधि तक चलता रहता है।
एक रिटायरमेंट प्लान को एन्युटी प्लान या पेंशन प्लान भी कहते हैं, जो व्यक्ति अपनी सेवानिवृत्ति के बाद पैसा इकट्ठा करने के लिए लेता है। अधिकतर रिटायरमेंट प्लान के लाभ वार्षिक रूप में या बीमा धारक के 60 वर्ष की उम्र पर एक बार में दे दिया जाता है। अगर पॉलिसी धारक पॉलिसी अवधि के बाद भी जीवित रहता है तो उसे वेस्टिंग बेनिफिट मिलता है।
नोट- अगर पॉलिसी धारक की मृत्यु हो जाती है तो जीवन बीमा कंपनी लाभार्थी को पूर्व में निश्चित की गई रकम देती है।
आधार |
टर्म पॉलिसी |
फुल लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी |
एंडोमेंट प्लान |
यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान |
मनी बैक प्लान |
पेंशन प्लान |
अवलोकन |
टर्म लाइफ प्लान सबसे आसान लाइफ कवरेज प्लान है। |
यह प्लान आजीवन सुरक्षा देते हैं और इसमें निवेश का विकल्प होता भी है और नहीं भी। |
इस प्लान में सुरक्षा के साथ निवेश का भी विकल्प मिलता है इसमें कुछ गारंटी रिटर्न होते हैं जो 100% तक भी हो सकते हैं। |
यह प्लान मार्केट लिंग रिटर्न और सुरक्षा देता है इसकी रिटर्न फंड प्रदर्शन पर आधारित होती है ना की बीमा कंपनी पर। |
यह प्लान सुरक्षा के साथ निवेश भी देता है इसमें रिटर्न एक सुनिश्चित आए या कुछ वर्षों की आय भी हो सकती है। |
प्लान तब तक इनकम देता है जब तक व्यक्ति जीवित रहता है कुछ प्लान मृत्यु परपरचेज प्राइस भी देते हैं। |
पॉलिसी अवधि |
5 से 50 वर्ष तक होती है |
इसमें पूरा जीवन सुरक्षित होता है |
यह 10 से 35 वर्ष के बीच होती है |
इसका टाइम 10 से 20 वर्ष के बीच होता है |
यह अधिकतर 25 वर्ष तक हो सकती है |
इसकी कोई तय अवधि नहीं है |
मेच्योरिटी बेनिफिट |
जीवित रहने पर आपको कोई मैच्योरिटी लाभ नहीं मिलता है |
एक उम्र तक पहुंचने पर आपको मैच्योरिटी लाभ मिलता है जैसे 80 से 100 वर्ष |
पॉलिसी अवधि तक जीवित रहने पर आपको मैच्योरिटी लाभ मिलते हैं। |
पॉलिसी अवधि तक जीवित रहने पर आप मेजॉरिटी लाभ ले सकते हैं |
पॉलिसी के मैच और होने पर आपको सर्वाइवर लाभ मिलते हैं |
कोई लाभ नहीं मिलता है अगर आप जीवित रहते हैं तो आपको इनकम मिलती है |
मृत्यु लाभ |
अगर पॉलिसी अवधि में आप की मृत्यु हो जाती है तो लाभार्थी को भी बीमा धन मिलता है |
अगर पॉलिसी अवधि में अपनी मृत्यु हो जाती है तो लाभार्थी को भी बीमा धन मिलता है |
बीमित व्यक्ति की मृत्यु होने पर मृत्यु लाभार्थी को मिलता है |
पॉलिसी अवधि के दौरान भी व्यक्ति की मृत्यु होने पर लाभार्थी को मृत्यु लाभ मिलता है |
पॉलिसी अवधि के दौरान भी मृत्यु होने पर लाभ मिलता है |
पॉलिसी धारक की मृत्यु होने पर कुछ प्लान रकम वापस लौट आने का विकल्प भी देते हैं |
किसके लिए योग्य है |
यह प्लान उनके लिए योग्य है जो अपने प्रिय जनों की वित्तीय सुरक्षा को कम प्रीमियम में सुरक्षित करना चाहते हैं |
यह उन लोगों के लिए उपयुक्त है जो अपने प्रिय जनों के वित्तीय सुरक्षा करना चाहते हैं और एक लगे सी अमाउंट छोड़ना चाहते हैं |
यह उन लोगों के लिए उपयुक्त है जो निवेश में मिले रिटर्न के साथ वित्तीय सुरक्षा चाहते हैं। |
यह उन लोगों के लिए उपयुक्त है जो निवेश के साथ अपना पोर्टफोलियो विस्तृत करना चाहते हैं साथ ही यह उनके लिए भी उपयुक्त है जिनकी आय अच्छी है और जिनको निवेश की जानकारी है। |
यह उन लोगों के लिए उपयुक्त है जो अपने जीवन को सुरक्षित करना चाहते हैं और बराबर अंतराल पर पैसा कमाना चाहते हैं यह उनके लिए सबसे अच्छा है जो सुरक्षा और निवेश दोनों का लाभ चाहते हैं। |
यह उनके लिए उपयुक्त है जो अपनी सेवानिवृत्ति के बाद नियमित इनकम चाहते हैं। |
जीवन बीमा प्रीमियम वह भुगतान होता है जो जीवन बीमा लाभ लेने के लिए देना पड़ता है। जीवन बीमा प्रीमियम वार्षिक रूप से दिया जाता है हालांकि यह अर्धवार्षिक और मासिक रूप से भी दिया जा सकता है। प्रीमियम देने से बीमा की कीमत भी बढ़ती है।
बीमा कंपनी पॉलिसी धारक द्वारा दिया जाने वाला प्रीमियम निश्चित करती है। इसके साथ जीवन बीमा खरीदार को भी पॉलिसी और बीमा धन चुनने का मौका मिलता है।
बीमा धन चुनने के लिए बीमा कंपनी आपकी जीवनशैली, कार्य, आपके आश्रित, वित्त, दीमाधन को ध्यान में रखती है।
नोट ऐसा कोई प्रीमियम केलकुलेटर नहीं है जो एक इंसान की जिंदगी की कीमत लगा सके।
जीवन बीमा पॉलिसी खरीदते समय बीमा कंपनी नीचे दिए गए केवाईसी दस्तावेजों की मांग करेगी:
आपका बीमा धन या कवर निर्धारित करने के लिए यह बीमा कंपनी के लिए बहुत जरूरी है। अधिकतर परिस्थितियों में बीमा कंपनी बीमा धारक की इनकम का 20 गुना बीमा धन देती है। इनकम सबूत मानक रूप से यह होता है:
बीमा कंपनियां निवेदक पति की भी जानकारी मांगती है। निम्नलिखित दस्तावेज एड्रेस प्रूफ की तरह इस्तेमाल किए जाते हैं:
आप नीचे दिए गए दस्तावेजों को पहचान पत्र के रूप में दे सकते हैं:
ऊपर दिए गए कुछ दस्तावेजों को उम्र के प्रमाण पत्र के रूप में भी लिया जाता है। हालांकि नीचे ऐसे दस्तावेजों की लिस्ट गई है जिन्हें आप उम्र प्रमाण पत्र के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं:
केवाईसी दस्तावेजों के अलावा निवेदन को नीचे दिए गए दस्तावेज पॉलिसी खरीदते समय जमा करने पड़ते हैं:
जीवन बीमा कंपनियों द्वारा भारत में अलग-अलग प्लान दिए जाते हैं। बढ़िया प्रीमियम और अच्छे कवरेज के साथ एक प्लान को चुनना मुश्किल काम हो सकता है।
नीचे कुछ ऐसे बिंदु दिए गए हैं जिसकी मदद से आप एक बढ़िया जीवन बीमा पॉलिसी चुन सकते हैं:
एक अच्छे प्लान का मतलब है कि किसी आपातकाल होने पर आपके परिवार जन अपनी जीवनशैली आसानी से व्यतीत कर सकते हैं। जीवन बीमा पॉलिसी लेने के लिए पॉलिसी में दिए गए लाभों को ध्यान से देखें और फिर चुने।
अगर आपको सभी चरणों की जानकारी हो तो क्लेम करना बहुत आसान हो जाता है। सही तरीके से क्लेम करना बहुत जरूरी है। नीचे कुछ ऐसी परिस्थितियों की जानकारी दी गई है जिसमें नॉमिनी या पॉलिसी धारक भारत में क्लेम कर सकता है:
बीमा कंपनी को सूचना दें:बीमा कंपनी के टोल फ्री नंबर या ईमेल पर उनको जल्द से जल्द सूचना दें। यह समझाया जाता है कि सीधा फोन करके सूचना देने से प्रक्रिया जल्दी आगे बढ़ती है।
महत्वपूर्ण जानकारी दें: क्लेम करते समय लाभार्थी को नीचे दी गई सारी जानकारी देनी चाहिए:
अगर पॉलिसी ऑफलाइन खरीदी गई है तो बीमा कंपनी ने खरीदते समय क्लेम इंटीमेशन फॉर्म दिया होगा।
अगर यह पॉलिसी ऑनलाइन खरीदी गई है तो क्लेम सेटेलमेंट के लिए ऑनलाइन आवेदन करना आसान है।
क्लेम प्रक्रिया:दुर्घटना या प्राकृतिक मित्र मृत्यु होने पर लाभार्थी को सारे जरूरी दस्तावेज क्लेम प्रक्रिया के साथ बीमा कंपनी को देने पड़ते हैं।
क्लेम सपोर्ट टीम इन सारे दस्तावेजोंऔर क्लेम डिक्लेरेशन को जांचती है। कई परिस्थितियों में लाभार्थी से कुछ अन्य दस्तावेजों की भी मांग कर सकती है।
जमा करने योग्य दस्तावेज
नोट -अगर लाभार्थी के अतिरिक्त कोई और क्लेम फाइल करता है तो बीमा कंपनी कानूनी उत्तराधिकारी के बारे में पूछ सकती है।
मंजूरी और पेआउट
ऊपर दिए गए दस्तावेजों की लिस्ट मूल रूप से क्लेम के लिए जरूरी होती है। इसके अलावा बीमा कंपनी अन्य दस्तावेज भी मांग सकते हैं (जरूरत पड़ने पर)
अगर बीमा धारक पॉलिसी अवधि के बाद भी जीवित रहता है तो उसे मैच्योरिटी लाभ मिलते हैं। हालांकि बीमा धारक को ध्यान रखना चाहिए कि पॉलिसी जारी है और सभी प्रीमियम भर दिए गए हैं।
नीचे मैच्योरिटी लाभ लेने के लिए आसान प्रक्रिया का विवरण दिया गया है।
पॉलिसी अवधि समाप्त होने के एक दो महीने पहले ही पॉलिसी धारक को बीमा कंपनी द्वारा बता दिया जाता है| मैच्योरिटी की तिथि और डिसचार्ज वाउचर बीमा कंपनी द्वारा बीमा धारक को दे दिया जाता है।
डिस्चार्ज वाउचर रसीद के समान होता है। उसे पॉलिसी धारक को अन्य गवाहों के सामने मान्य करना पड़ता है। इस वाउचर को बीमा कंपनी के पास मूल पॉलिसी बांड के साथ भेज दिया जाता है जिसके आधार पर पॉलिसी मेच्योरिटी लाभ मिलते हैं।
अगर पॉलिसी धारक ने किसी और को जीवन बीमा पॉलिसी के लिए नामांकित किया है तो क्लेम अमाउंट लेने के लिए यह डिसचार्ज वाउचर नॉमिनी को दस्तखत करके बीमा कंपनी को भेजना होगा।
ध्यान रखने योग्य बातें
जीवन बीमा राइडर बीमा कंपनी द्वारा दिए गए अतिरिक्त लाभ होते हैं जिससे जीवन बीमा का कवरेज विस्तृत होता है। हालांकि बाजार में उपलब्ध राइडर की जानकारी लिए बिना कवर बढाने के लिए किसी भी राइडर को चुनना उपयुक्त नहीं होगा।
जीवन बीमा राइडर चुनना जीवन बीमा प्लान चुनने जितना ही जरूरी है। क्योंकि कोई भी अपना बीमा फैसला गलत नहीं लेना चाहता। इसलिए जीवन बीमा राइडर चुनने से पहले आपको विशेषज्ञों की राय लेनी चाहिए।
जीवन बीमा राइडर के प्रकार
पॉलिसी धारकों के लिए दिए गए कुछ राइडर विकल्प नीचे दिए गए हैं:
इस राइडर लाभ में विकट बीमारी जैसे कैंसर, दिल का दौरा, किडनी फेलियर, कोमा पैरालिसिस आदि कवर होते हैं। यह बीमा कंपनी से कंपनी अलग-अलग हो सकता है इसलिए कंपनी द्वारा कवर की गई बीमारियों की लिस्ट देखना जरूरी है। किसी भी बीमारी के निदान होने पर बीमा कंपनी राइडर बेनिफिट देती है। हालांकि ऊपर दी गई विकट बीमारी से मृत्यु नहीं हो सकती परंतु उसके इलाज में बहुत पैसा लग सकता है। इस राइडर के अंतर्गत बीमा धारक बीमा धन को इलाज के खर्चे के लिए इस्तेमाल कर सकता है। इसकी एक ही शर्त है कि पॉलिसी धारक को वेटिंग पीरियड तक जीवित रहना होगा।
क्योंकि कोई भी बीमारी के खिलाफ गारंटी नहीं दे सकता तो यह राइडर निम्नलिखित द्वारा लिया जा सकता है :
अगर बीमा धारक की आय किसी भी अपंगता के कारण पूरी तरह से सम्पत हो जाती और वो प्रीमियम नहीं भर पाता तो जीवन बीमा पॉलिसी समाप्त हो जाती है। ऐसी परिस्थिति में बीमा धारक कए नुकसान की भरपाई नहीं की जाती। ऐसे में एक सुनिश्चित आय के बिना उनका परिवार अपने वित्तीय खर्चों का भुगतान कैसे करेगा?
ऐसी परिस्थिति में प्रीमियम राइडर की छूट से आपको भविष्य में आपके सारे प्रीमियम पर छूट मिल जाएगी और पॉलिसी जारी रहेगी।
अगर पॉलिसी धारक की मृत्यु या दुर्घटना में अपंगता के कारण प्रीमियम का भुगतान नहीं हो पाता है तो बेस पॉलिसी और राइडर के लिए प्रीमियम की छूट दे दी जाएगी और पॉलिसी जारी रहेगी। इस राइडर को विकेट मारी और दुर्घटना पूर्ण और स्थाई अपंगता राइडर के साथ भी लिया जा सकता है और इसे अलग से भी खरीदा जा सकता है। क्योंकि अनिश्चितता को पहले से बताया नहीं जा सकता इसलिए यह जीवन बीमा शारीरिक काम और रोज आना जाना करने वाले लोगों को आवश्यक रूप से लेना चाहिए।
इस राइडर में अगर धारक की दुर्घटना में मृत्यु हो जाती है तो उसके लाभार्थी को बीमा धन के साथ अतिरिक्त दुर्घटना हेतु लाभ भी मिलेगा। बहुत बार पॉलिसी धारक की उसी समय मृत्यु नहीं होती तो बीमा कंपनियां कवरेज देने के लिए दुर्घटना के कुछ समय के बाद का समय निर्धारित करती है।
मान लीजिए पॉलिसी धारक की दुर्घटना के 100 दिन बाद होती है, तो भी लाभार्थी को भी बीमाधन मिलेगा। इसलिए जीवन बीमा खरीदते समयराइडर के बारे में जानकारी लेना बहुत जरूरी है।
क्योंकि दुर्घटना कहीं भी कहीं पर भी और किसी के साथ भी हो सकती है। तो अपने परिवार की वित्तीय सुरक्षा के लिए सभी को यह राइडर लेना चाहिए परंतु यह राइडर मुख्य रूप से इन्हें लेना चाहिए:
अगर किसी दुर्घटना में बीमा धारक को पूर्ण अस्थाई या स्थाई अपंगता हो जाती है और वह कोई इनकम नहीं ला पाता है तो यह राइडर उसके परिवार को मासिक आय के रूप में वित्तीय सहारा देता है। यह राइडर प्लान दर प्लान अलग-अलग हो सकता है और यह एक तय समय सीमा के लिए ही होता है।
जैसे कि कई कंपनियां यह लाभ दुर्घटना के 5 से 10 साल तक देती हैं। अगर पॉलिसी अवधि के दौरान पॉलिसी धारक की मृत्यु हो जाती है तो लाभार्थी को पूरा बीमा धन मिलता है।
यह राइडर उनके लिए बहुत जरूरी है जो :
बीमा कंपनी प्राप्तमृत्यु क्लेम भुगतान किए गए मृत्यु क्लेम अस्वीकार प्लेन प्लेन जारी क्लेम सेटेलमेंट रेशों सीएसआर प्रतिशत में
बीमा कंपनी |
प्राप्त मृत्यु क्लेम |
प्रदत्त मृत्यु क्लेम |
अस्वीकार क्लेम |
बकाया क्लेम |
क्लेम सेटलमेंट रेश्यो |
आदित्य बिड़ला सन लाइफ |
5,260 |
5,110 |
0 |
24 |
97.15 प्रतिशत |
एगॉन लाइफ |
507 |
489 |
0 |
0 |
96.45 प्रतिशत |
अवीवा लाइफ |
938 |
901 |
15 |
2 |
96.06 प्रतिशत |
बजाज एलियांज |
12,767 |
12,130 |
153 |
3 |
95.01 प्रतिशत |
भारती अक्सा लाइफ |
1065 |
1036 |
0 |
7 |
97.28 प्रतिशत |
कनारा एचएसबीसी ओरिएण्टल |
1006 |
946 |
0 |
1 |
94.04 प्रतिशत |
एडलवाइस टोक्यो |
239 |
229 |
0 |
0 |
95.82 प्रतिशत |
एक्साइड लाइफ |
3,335 |
3,236 |
0 |
0 |
97.03 प्रतिशत |
फ्यूचर जेनेरली इंडिया |
1,157 |
1,101 |
4 |
8 |
95.16 प्रतिशत |
एचडीएफसी std लाइफ |
12,946 |
12,822 |
23 |
34 |
99.04 प्रतिशत |
आईसीआईसीआई प्रु |
10,826 |
10,672 |
0 |
21 |
98.58 प्रतिशत |
आईडीबीआई फ़ेडरल |
1,306 |
1251 |
0 |
8 |
95.79 प्रतिशत |
इंडिया फर्स्ट |
2,242 |
2,081 |
8 |
9 |
92.82 प्रतिशत |
कोटक महिंद्रा |
3,038 |
2,959 |
0 |
12 |
97.40 प्रतिशत |
एलआईसी |
7,50,381 |
7,34,328 |
3442 |
791 |
97.79 प्रतिशत |
मैक्स लाइफ |
15,085 |
14,897 |
0 |
3 |
98.74 प्रतिशत |
पीएनबी मेटलाइफ |
4170 |
4,012 |
0 |
0 |
96.21 प्रतिशत |
प्रामेरिका |
656 |
635 |
0 |
2 |
96.80 प्रतिशत |
रिलायंस निप्पन |
8,371 |
8,179 |
0 |
4 |
97.71 प्रतिशत |
सहारा लाइफ |
681 |
614 |
12 |
16 |
90.16 प्रतिशत |
एसबीआइ लाइफ |
19,902 |
18,913 |
0 |
28 |
95.03 प्रतिशत |
श्रीराम लाइफ |
2,830 |
2,414 |
43 |
39 |
85.30 प्रतिशत |
स्टार यूनियन दाइची |
1,258 |
1,217 |
1 |
5 |
96.74 प्रतिशत |
टाटा एआईए लाइफ |
2,700 |
2,675 |
0 |
0 |
99.07 प्रतिशत |
डिस्क्लेमर: “पॉलिसी बाजार किसी भी बीमा कंपनी, किसी भी प्लान का समर्थन,सिरफारिश और मूल्यांकन नहीं करता।"
ऐसे बहुत से कारण होते हैं जिस पर आपका जीवन बीमा शुल्क निर्धारित होता है। उनमें से कुछ कारण है- आपकी वित्तीय जरूरतें आपके द्वारा ली गई जीवन बीमा पॉलिसी का प्रकार, कवरेज, रकम, आपकी उम्र,आपका स्वास्थ्य, आपका लिंग, आपका काम और आपके प्री-मेडिकल टेस्ट के नतीजे। इसके आधार पर आपकी पॉलिसी का प्रीमियम जोड़ा जाता है।
सही बीमा कैलकुलेट करने का सबसे बढ़िया तरीका है अपनी आय का 10 गुना कवर लेना। आपके लिए 5,00,000 का जीवन बीमा काफी है या नहीं यह आप की वार्षिक आय पर निर्भर करता है।
क्योंकि जीवन बीमा कराने की उम्र सीमा कंपनी द्वारा तय की जाती है इसलिए कोई एक उम्र नहीं है। हालांकि जीवन बीमा कंपनियों द्वारा तय की गई उम्र सीमा 75 से 80 वर्ष के बीच होती है।
आपका पेआउट प्रीमियम, नियम, शर्त ,उम्र, लिंग और काम पर आधारित होता है।
पॉलिसी धारक की मृत्यु के बाद उसका नॉमिनी या कानूनी उत्तराधिकारी जीवन बीमा क्लेम कर सकता है।
हां। जीवन बीमा पॉलिसी कॅशवैल्यू के आधार पर पॉलिसी को पहले ही वापस लिया जा सकता है। कैश वैल्यूवैल्यू जीवन बीमा पॉलिसी का वह भाग है जिसे लिक्विडेट किया जा सकता है। लग-अलग बीमा कंपनियों द्वारा अलग-अलग वैल्यू दी गई है। इस आरोअए यानी रेट ऑफ़ एकुमुलशन भी कहते हैं। अगर पॉलिसी धारक कैश वैल्यू के खिलाफ लोन लेता है और लोन बकाया होने पर उसकी मृत्यु हो जाती है, तो बचे हुए लोन के अनुसार मृत्यु लाभ घटा दिया जाता है।
अगर पॉलिसी खरीदने के 12 महीने के अंदर अंदर ही पॉलिसी धारक खुदकुशी कर लेता है तो लाभार्थी को कोई बीमा लाभ नहीं मिलेगा। हालांकि बीमा कंपनी प्राप्त प्रीमियम में से सेसर्विस चार्ज, एडमिनिस्ट्रेशन चार्ज और प्रोसेसिंग फी काटकर जीवन बीमा प्रीमियम का भुगतान करेगी।
जीवन बीमा का एक महत्वपूर्ण नियम यह है कि जीवन बीमा पॉलिसी का मृत्यु लाभ आप की वार्षिक आय का 10 20 गुणा होना चाहिए। हालांकि सभी नियमों की तरह यह भी हमेशा सटीक नहीं होता।
अगर पॉलिसी धारक की केशवलू लेने से पहले ही मृत्यु हो जाती है तो लाभार्थी को कोई कैश वैल्यू नहीं मिलेगा। कैश वैल्यू एक निवेश है जो बहुत सी पॉलिसी के साथ आता है और एक व्होले जीवन बीमा पॉलिसी है।
भारत में सबसे मशहूर जीवन बीमा पॉलिसी इस प्रकार है: टर्म जीवन बीमा, एंडोमेंट प्लान, यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान, मनी बैक पॉलिसी, चाइल्ड इंश्योरेंस प्लान, एन्युटी प्लान।
जीवन बीमा पॉलिसी की कॅश वैल्यू है रकम है जो पॉलिसी धारकों पॉलिसी कैंसिल कराने पर मिलता है।अपनी केशवलू लेने के लिए पॉलिसी धारक को सारे अधिकार और भविष्य में मिलने वाले लाभ वापस करने पड़ते हैं।
पेड उप वैल्यू घटा हुआ बीमा धन होता है जो कि पॉलिसी धारक द्वारा समय पर प्रीमियम ना देने पर और पॉलिसी समाप्त होने पर होता है।
पॉलिसी धारक द्वारा बीमा कंपनी को पॉलिसी समाप्त होने से मैच्योरिटी से और पॉलिसी धारक के साथ कुछ घटित होने से पहले तक दिए गए भुगतान को कैश सरेंडर वैल्यू कहते हैं।
टीपीए का अर्थ है थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर। यह एक एजेंसी है जिसके पास भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण द्वारा क्लेम प्रक्रिया आगे बढ़ाने का अधिकार होता है। इसके अतिरिक्त यह बीमा कंपनी के नाम पर कैशलेस सुविधा देती है।
यह आपकी बीमा की जरूरतों पर निर्भर करता है। हाँलांकि विस्तृत बीमा कवरेज के लिए जीवन बीमा और बीमारी बीमा होना एक अच्छा विकल्प है।
जीवन बीमा लेते समय नीचे दिए गए बातों का ध्यान रखना चाहिए। क्या करना चाहिए- प्लान लेते समय अपनी जरूरतों का अच्छे से विश्लेषण कर ले। अपनी जरूरतों के आधार पर प्लान की सूची बना ले। और ऑनलाइन जाकर अलग-अलग प्लानो की तुलना करें। प्लान लेने से पहले बहुत से सवाल पूछे। ध्यान से आवेदन पत्र भरें। सही जानकारी दें। पॉलिसी लेते समय दिया गयाआवेदन पत्र और किसी भी घोषणा पत्र की प्रतिलिपि अपने पास रखें।
क्या नहीं करें: फॉर्म में कोई भी जगह खाली नहीं छोड़े। अपने अतिरिक्त किसी को भी अपना फॉर्म नहीं भरने दे। बीमा कंपनी को कोई भी गलत जानकारी नहीं दे। अपने प्रीमियम के भुगतान में कोई भी देरी ना करें।
पॉलिसी लाभ को जारी रखने के लिए आपको अपनी पॉलिसी समय-समय पर रिन्यू करानी होगी। अगर आप अपनी पॉलिसी रिन्यू कराना भूल जाते हैं तो वह समाप्त हो जाती है। ऐसी परिस्थिति में आपको प्रीमियम भरने में हुई देरी का सबूत देना होगा और प्रीमियम भरना होगा कंपनी एक जुर्माना लगाकर आपकी पॉलिसी फिर से चालू कर देगी।
हां। जीवन बीमा और जनरल बीमा में बहुत अंतर है। जनरल बीमा में जीवन बीमा कवरेज नहीं होता जैसे बीमा धारक की अचानक मृत्यु। जनरल बीमा गाड़ी दो पहिया वाहन के लिए हो सकता है और यह कवरेज जीवन बीमा में नहीं होता।
अकस्माक लाभार्थी वह होता है जिसे मूल लाभार्थी के मृत होने पर, उसके लाभ ना लेने पर या उसके लाभ लेने से इनकार करने पर पॉलिसी धारक की मृत्यु के बाद पॉलिसी के सारे लाभ मिलते हैं।
हां।पॉलिसी लाभ दिया जाएगा।
बेसिक जीवन बीमा बीमा धारक और बीमा कंपनी के बीच एक संविदा है जहां पर एक प्रीमियम के बदले में पॉलिसी धारक की मृत्यु होने पर लाभार्थी को मृत्यु लाभ के रूप में एकमुश्त रकम मिलती है।
सभी कंपनी का अपना अपना बीमा धन और अपना अपना प्लान है। आपकी उम्र, स्वास्थ्य और आपके काम पर आपका अधिकतम कवर आधारित होता है।
अगर बीमा धारक की मृत्यु हो जाती है तो पॉलिसी धारक द्वारा नामांकित नॉमिनी को बीमा धन मिलेगा।
क्लेम सेटलमेंट प्रक्रिया में 10 से 14 दिन लगते हैं। अधिक से अधिक सारी कंपनियां 30 से 60 दिन में लाभार्थी को बीमा धन दे देती हैं।
जीवन बीमा पॉलिसी में मृत्यु लाभ होता है और होती है जिसे पैसे उधर लेने के लिए काम में लिया जा सकता है।
टर्म लाइफ इंश्योरेंस में पॉलिसी अवधि के बाद जीवित रहने पर कोई सर्वाइवल लाभ नहीं मिलता है। कई पॉलिसिय जैसे व्होले लाइफ बीमा मेजॉरिटी बेनिफिट के साथ आती है जो पॉलिसी अवधि के बाद जीवित रहने पर मिलता हैं।
अगर पॉलिसी धारक ने कोई लाभार्थी को नामांकित नहीं किया है तो मृत्यु लाभ या तो उसके कानूनी उत्तराधिकारी को मिलेगा या उसके जायदाद को।
जीवन बीमा प्लान की अधिकतम कवरेज प्लान दर प्लान अलग-अलग होती है।
जीवन बीमा में अंतिम क्रिया के खर्च के लिए कोई अलग से फंड नहीं होता .अगर पॉलिसी धारक की मृत्यु हो जाती है तो लाभार्थी को प्राप्त भुगतान से वह अंतिम क्रिया का खर्च दे सकता है।
यह आपकी चुनी गई पॉलिसी पर आधारित है।
अगर आपको कोई विकट बीमारी है तो जीवन बीमा पॉलिसी नहीं मिलेगी।
अगर आपने अपना प्रीमियम देना बंद कर दिया तो आपकी जीवन बीमा पॉलिसी ग्रेस पीरियड के बाद समाप्त हो जाएगी।
अगर आपका लाभार्थी आप से पहले मृत्यु को प्राप्त हो जाता है तो आप कोई नया लाभार्थी दे सकते हैं .अगर नया लाभार्थी नामांकित नहीं करेंगे तो आपका कानूनी उत्तराधिकारी गया आपकी जायदाद अपने आप आपका लाभार्थी बन जाएगा।
पेंशन प्लान /रिटायरमेंट प्लान जैसे जीवन बीमा प्लान अपनी सेवानिवृत्ति के बाद आपकी वित्तीय भविष्य को सुरक्षित रख सकते हैं।
हां। बीमा कंपनियां पॉलिसी धारक द्वारा प्रीमियम का भुगतान न करने पर30 दिन का ग्रेस पीरियड देते हैं।
यह पॉलिसी धारक द्वारा पॉलिसी खरीदते समय चुने गए थे विकप पर आधारित होता है। इसके साथ कहीं प्लान लाभार्थी को मृत्यु लाभ प्राप्त करने का विकल्प चुनने का प्रावधान देते हैं।
खबर
आईआरडीएआई ने जीवन बीमा प्रीमियम भरने की समय सीमा को 30 दिन आगे बढ़ाया
भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण ने जीवन बीमा पॉलिसी धारकों को अपनी रिनुअल भरने की समय सीमा को 30 दिन आगे बढ़ाया है। ऐसी ही एक छूट जीवन बीमा पॉलिसी प्रीमियम पर मार्च में भी दी गई थी।
इस अतिरिक्त छूट देने के पीछे यह कारण है कि पीड़ित लोगों को प्रीमियम भरे बिना लॉकडाउन के चलते अपनी पॉलिसी जारी रखने का मौका मिले। आईआरडीएआई के सर्कुलर के अनुसार जिस जिस जीवन बीमा प्लान का प्रीमियम मार्च और अप्रैल 2020 में देने योग्य है उनको 30 दिन की अवधि मिलेगी। हालांकि इसमें इस बात का कोई जिक्र नहीं किया गया है कि यह सभी बीमा और पॉलिसी पर लागू होती है या नहीं।
भारती विनियामक ने इस बात का भी निर्देश दिया कि बीमा कंपनियों को यूनिट लिंक्ड पॉलिसी के सेटेलमेंट के लिए मेच्योरिटी पे आउट देने होंगे। सेटलमेंट विकल्पों का मतलब है मैच्योरिटी पेआउट को किस्तों में लेने की सुविधा।
इस सर्कुलर में यह भी लिखा था कि यूएसआईपी लिंक प्लान जहां फंड वैल्यू और मेच्योरिटी अमाउंट एकमुश्त दिया जाना था वहां बीमा कंपनी को पॉलिसी धारक को सेटलमेंट का विकल्प देना होगा। यह सिर्फ एक बार दिए जाने वाला विकल्प है। यह विकल्प देते समय बीमा कंपनी को पुख्ता को यह भी बताना होगा कि इसमें एनएवी उतार-चढ़ाव के कारण जोखिम है और यह पॉलिसी धारक की सहमति से ही होना चाहिए। यह उन यूनिट लिंक्ड प्लान के लिए है जिनकी मैच्योरिटी तिथि 31 मई 2020 से पहले की है।