अपने प्रिय जनों का भविष्य सुरक्षित करने के लिए और बढ़िया वित्तीय प्लानिंग करने के लिए टर्म इंश्योरेंस एक बहुत बेहतर विकल्प है। सस्ते प्रीमियम दाम पर टर्म जीवन बीमा किसी भी अनहोनी होने पर आपके परिवार को वित्तीय सुरक्षा देता है। अगर पॉलिसी अवधि के दौरान बीमित व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो एक मुश्त भुगतान मृत्यु लाभ के रूप में लाभार्थी को दिया जाता है।
हालांकि टर्म बीमा प्लान बीमित व्यक्ति के लाभार्थी को बीमा कवर देने के लिए बनाए गए हैं परंतु उनमें भी कई मृत्यु अपवर्जित होती हैं। इस लेख में हम उन मृत्यु के प्रकारों के बारे में चर्चा करेंगे जो टर्म बीमा प्लान में कवर होती है और जो टर्म बीमा प्लान में कवर नहीं होती है।
टॉम जीवन बीमा प्लान में प्राकृतिक मृत्यु और स्वास्थ्य से संबंधित मृत्यु कवर होती है। अगर पॉलिसी धारक कि किसी भी विकट बीमारी या अन्य किसी बीमारी के कारण मृत्यु हो जाती है तो पॉलिसी के लाभार्थी को मृत्यु लाभ के रूप में बीमा धन मिलेगा।
टर्न योजना दुर्घटना में हुई मृत्यु से भी कवरेज देते हैं। इसी के साथ बहुत से टर्म जीवन बीमा प्लान में अतिरिक्त दुर्घटना है मृत्यु लाभ राइडर भी होता है जिसमें पॉलिसी के लाभार्थी को पॉलिसी धारक की मृत्यु होने पर बीमा धन के अतिरिक्त बीमा धन भी मिलता है।
इसमें कुछ अपवर्जन हो सकते हैं। अगर पॉलिसी धारक की मृत्यु नशे या ड्रग्स के नशे में गाड़ी चलाने से या कोई गैरकानूनी गतिविधियां करने से हुई है तो उनका क्लेम अस्वीकार हो जाएगा। साथ ही साथ जीवन बीमा प्लान में स्काईडाइविंग, पैराशूटिंग, राफ्टिंग, बंजी जंपिंग आदि जोखिम वाले खेलों से होने वाली मृत्यु कवर नहीं होती है।
अगर बीमा धारक पॉलिसी शुरू होने के 12 महीने के अंदर अंदर खुदकुशी कर लेता है तो लाभार्थी को नॉन लिंक्ड पॉलिसी होने पर दिए गए प्रीमियम का 80% मिलता है। अगर उनका प्लान लिंक्ड है तो पॉलिसी धारक की पॉलिसी शुरू होने के 12 महीने के अंदर अंदर खुदकुशी करने के बाद लाभार्थी को दिए गए प्रीमियम का पूरा 100% मिल जाता है। हालांकि अगर पॉलिसी धारक पॉलिसी शुरू होने के 1 साल बाद खुदकुशी करता है तो लाभार्थी को कोई भी लाभ नहीं मिलेंगे और पॉलिसी समाप्त हो जाएगी। बहुत सी ऐसी जीवन बीमा कंपनियां हैं जो खुदकुशी के लिए भी कवरेज लेती हैं। साथ ही साथ पॉलिसी खरीदारों को इस बात का पूरा ध्यान देना चाहिए कि उन्हें पॉलिसी खरीदने से पहले पॉलिसी के नियम, शर्त, अंतर्निहित लाभ और अपवर्जन ध्यान से पढ़ लेना चाहिए।
अगर बीमा धारक को खुद के द्वारा कोई भी चोट होती है या कोई खतरनाक गतिविधि के दौरान कोई चोट लगती है तो लाभार्थी द्वारा किया गया क्लेम बीमा कंपनी द्वारा स्वीकार कर दिया जाएगा।
अगर बीमा धारक की मृत्यु किसी भी यौन बीमारी जैसे एचआईवी और एड्स के कारण होती है तो बीमा कंपनी क्लेम को स्वीकार नहीं करेगी।
अगर पॉलिसी धारक की ड्रग ओवरडोज सिया नशे के कारण मृत्यु हो जाती है तो बीमा कंपनी लाभार्थी को कोई भी मृत्यु लाभ नहीं देगी।
अगर लाभार्थी बीमा धारक को मार देता है और जान प्रक्रिया में यह पता चलता है कि नॉमिनी इस गतिविधि में शामिल है तो बीमा कंपनी क्लेम को अस्वीकार कर देंगे। जब तक लाभार्थी को दोष से मुक्त नहीं कर दिया जाता है तब तक क्लेम बीमा कंपनी द्वारा होल्ड पर रख दिया जाएगा।
अगर लाभार्थी एक से ज्यादा टर्म बीमा पॉलिसी पर क्लेम करता है तो उसे भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण के निर्देशों का पालन करना होगा। इसके अतिरिक्त नॉमिनी को पुराने टर्म बीमा प्लान की जानकारी देकर ही नया प्लान लेना चाहिए। प्रपोजल फॉर्म में पॉलिसी का विवरण देना चाहिए। नई बीमा कंपनी पुरानी बीमा कंपनी से सारी जानकारी जान लेगी। जांच पूरी होने के बाद ही लाभार्थी को क्लेम मिलेगा।
अंत में
जीवन प्लान लेने से पहले पॉलिसी खरीदारों को पॉलिसी के दस्तावेजों को देख लेना चाहिए। पॉलिसी में अंतर्निहित लाभ और अकबर जनों की जानकारी लेने पर पॉलिसी धारक को अच्छा कवरेज मिलेगा और क्लेम करते समय कोई परेशानी नहीं होगी।